Friday, August 15, 2025
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आ रहा शिवभक्तों का रेला, शहरवासी झेल रहे जाम का झमेला

– शहर के अंदरूनी कट बंद होने से बढ़ रही शहरवासियों की परेशानियां, लगातार बढ़ रही जाम की दुश्वारियां।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। श्रावण मास की शुरूआत के साथ कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन इससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैफिक डायवर्जन और वनवे के कारण लोगों को अपने गंतव्य पहुंचने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि, अंदरूनी इलाकों के कट बंद होने से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

श्रावण मास का पवित्र महीना आते ही पूरा उत्तर भारत शिवमय हो गया है। डाक कांवड़, गीत, भजन और बोल बम के जयकारों से हर सड़क गूंजने लगी है। हालांकि इन सबके बीच आम लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। हर बार की तरह इस बार भी श्रद्धा के इस पर्व ने आमजन के जीवन में एक और इम्तिहान जोड़ दिया है। ट्रैफिक डायवर्जन और वनवे के चलते मिनटों की दूरी घंटों में पूरी हो रही है।

 

 

वहीं, शहर के अंदरूनी इलाकों के कटों को बंद करने से लोगों की परेशानियों और भी ज्यादा बढ़ गई है। सबसे बुरे हालात बेगमपुल चौराहे के आस-पास के एरिया के है। यह चौराहा कई मुख्य मार्गों को एक-दूसरे से जोड़ता है। लेकिन शिवभक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा बेगमपुल चौराहे के आस-पास सभी कटों को बंद कर दिया गया है। जिसके चलते शहरवासियों को भारी परेशानियों का सामना झेलना पड़ रहा है।

बैरीकेडिंग के कारण लोग जो अपने ही क्षेत्र से दूसरी ओर जाना चाहते हैं, उन्हें पूरा चक्कर काटकर दूसरी ओर जाना पड़ रहा है। आस्था के बीच में रास्तों की मारामारी झेल रहे क्षेत्र के लोगों का कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान हम लोग मानों अपने घरों में पैक हो गए हैं। अगर सड़क के दूसरी तरफ जाना हो या फिर आॅफिस जाना हो तो लंबे रास्ते से घूमकर जाना पड़ता है। सर्विस रोड तक खाली नहीं हैं, आप एक तरफ तो चल ही नहीं सकते। जैसे-जैसे कांवड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है, आना-जाना और भी कठिन हो रहा है।

वहीं टोल प्लाजा से पल्लवपुरम फ्लाईओवर तक हाल बेहाल है। लोगों का कहना है कि दिल्ली-देहरादून हाईवे पर टोल प्लाजा से लेकर पल्लवपुरम फ्लाईओवर तक कांवड़ियों की संख्या बहुत ज्यादा रहती है। फ्लाईओवर से मेरठ शहर में औघड़नाथ मंदिर की तरफ जाने वाले कांवड़िए और गाजियाबाद व दिल्ली की तरफ जाने वाले कांवड़ियों के रास्ते तय होते हैं। सर्विस लेन पर शिविर और उसके आगे सड़क तक कांवड़ियों के कांवड़ रखे होते हैं। इस तरफ तो आम पब्लिक का जाना कठिन होता है, और भूल से भी किसी कांवड़िए को कोई वाहन छू गया तो बवाल तय है।

लोगों का कहना है कि कांवड़ के दौरान एक तरफ के लोग अपने चार पहिया वाहन निकालते ही नहीं हैं। अपने वाहनों को घरों में ही रखते हैं, बाहर आना जाना हो तो पैदल ही जा रहे हैं, या फिर स्कूटी और बाइक से लंबा घूमकर जा रहे हैं। इस क्षेत्र में हॉस्पिटल तक एंबुलेंस तक भी पहुंचना मुश्किल होता है। यहां सीधे हाथ की तरफ मौजूद कॉलोनी इसलिए राहत में रहती हैं, क्योंकि उनकी तरफ आने वाला कांवड़ नहीं रहता, बस केवल जाने वाले ही ज्यादा होते हैं। मगर यहां भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी तरफ जाने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

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