शारदा रिपोर्टर मेरठ। दिव्यांग होना जहां कुछ लोगों को ताने सहना ओर लोगों के सामने मजाक बनने लगता है तो वहीं कुछ अपने आप को कोसते भी हैं कि वे ऐसे क्यों हैं। लेकिन ऐसी मानसिकता में भी कुछ बच्चे और कुछ लोग भी ऐसे होते है जो इसे एक समस्या न समझकर कुदरत का वरदान समझते हुए अपने आप आगे बढ़ते हैं।
इसके साथ ही अपने आप को कोसने की बजाय अपने अंदर छुपी प्रतिभा को निखारते हुए आगे बढ़ते हैं। ऐसे ही कुछ दिव्यांग बच्चों ने अपनी प्रतिभा से समाज और सभी के लिए एक मिशाल पेश की है। निशानेबाजी यानी शूटिंग में।
मात्र तीन महीने की तैयारी के बाद ही ऐसे दिव्यांग बच्चों ने मेडल जीतकर ये साबित कर दिखाया है कि अगर मेहनत की जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। उनकी इस प्रतिभा को निखारने और उनके साथ उनसे भी अधिक मेहनत करने वाले उनके कोच ने बताया कि ये बच्चे बहुत मेहनत से इसे सीखते हैं। अब उन्हें इन्हें सीखने में भी अच्छा महसूस होता है।
शुरू में हुई दिक्कत : इन दिव्यांग खिलाड़ियों को निशाने बाजी का प्रशिक्षण देने वाले प्रियांशु मालिक ने बताया कि वे खुद 7 साल इस खेल को खेले हैं। नेशनल गेम खेलने के बाद बीमारी के कारण वे अपने खेल को आगे नहीं बढ़ा सके। इसके बाद उनके मन में विचार आया कि जो जन्मसिद्ध ही ऐसे बच्चे हैं, उनका क्या होता होगा। इस सोच के साथ उन्होंने ये एकेडमी शुरू की थी।
भाषा के साथ अन्य दिक्कत भी आई : कोच ने बताया कि शुरूआती दौर में भाषा की भी दिक्कत उनके और इन खिलाड़ियों के बीच हुई। इसी बीच कई बार ये गन के साथ भी छेड़खानी कर देते थे। ऐसे में इनको समझाना मुश्किल हो जाता था। लेकिन उसके बाद आपस में ताल मेल बन गया और अब करीब 25 ऐसे खास बच्चे निशानेबाजी की तैयारी कर रहे हैं।
तीनों मेडल इन्हीं के
प्रियांशू ने बताया कि बच्चों की प्रतिभा और मेहनत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले में भी हाल ही में हुई जिला स्तरीय जूनियर प्रतियोगिता में सामान्य खिलाड़ियों के साथ इन्होंने प्रतिभाग किया। इसके बाद इन्होंने उनको पीछे छोड़ पहला, दूसरा , तीसरा तीनों पदक अपने आप जीत लिए।
तीन महीने की तैयारी के साथ जीते इनाम
6 वर्षीय हर्ष डागर ने अंडर 18 प्रतियोगिता में प्रथम इनाम, 10 वर्षीय धैर्य ने दूसरा इनाम और 15 वर्षीय अनंत कुमार ने प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसमें इनके साथ उम्र में इनसे बड़े खिलाड़ियों ने भी प्रतिभाग किया था। इसके बाद भी मात्र तीन महीने की तैयारी में ही इन्होंने मेडल जीत लिए।