- फैक्ट्री बंद करते हुए जबरन इस्तीफा लेने और धमकाने का लगाया आरोप।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। विभिन्न समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर बुधवार को कॉंटीनेंटल इंडिया मोदीपुरम के दर्जनों कर्मचारी कलक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने कंपनी के एचआर पर जबरन इस्तीफा लिखवाने और धमकाने का आरोप लगाया। ऊर्जा राज्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन डीएम कार्यालय में देते हुए कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी ने बिना बताये एक डिपार्टमेंट में टीबीआर ब्ंद कर दिया है। जिसमें लगभग 300 स्थायी कर्मचारी काम कर रहे थे। जबकि एचआरद्वारा बीती 2 जून को सुबह 10 बजे नोटिस लगा दिया कि, हम प्लांट बंद कर रहे हैं। जिस नोटिस पर प्लांट हैड कुलदीप सिंह और एचआर हैड प्रदीप राय के हस्ताक्षर थे। आरोप है कि, एचआर ने स्वयं और मैनेजर द्वारा लडकों को डराया धमकाया कि, रिजाईन वाले कागज पर हस्ताक्षर कर दो नहीं तो 10 तारीख के बाद एक रूपया नहीं मिलेगा।
एचआर में ब्रिजेश मिश्रा ने भी लोगों को डराया व फोन पर भी धमकाया। इनके धमकाने के सबूत भी लड़कों के पास है। इन्होंने कम्पनी में 20 से 25 बाउंसर बुला रखे हैं और लेवर लॉ के वकीलों को भी इन लोगों को फुल सर्पोट है। हम सभी ज्यादातर आसपास के ही हैं और ज्यादातर लोग शादीशुदा है, जिनके ऊपर परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी है। इन्होंने नोटिस बोर्ड पर पूर्व की भांति वीआरएस दशार्या है। उसके बाद 35 से 60 महीने का पूरी सेलरी का 82.5 प्रतिशत के हिसाब से दे दिया।
कर्मचारियों ने बताया कि हम लोग जब दो दिन बाद कम्पनी में अपनी सेलरी स्टेटमेंट व अनुभव प्रमाण पत्र लेने पहुंचे, तो इन्होंने सभी कर्मचारियों से कागज को ऊपर से ढककर जल्दी जल्दी हस्ताक्षर करवा लिये, जिसमें ई-स्टाम्प भी था। वह सेलरी स्टेटमेंट में इन्होंने रिटायरमेन्ट तक का पैसा हमें दे दिया दिखाया गया है। जो हमने विदेशी कम्पनी के बन्दी होने का मुआवजा सुना है वो मूलवेतन का रिटायरमेन्ट तक का होता है। इन्होंने मूल वेतन का 20 प्रतिशत पैसा रिटायरमेन्ट तक का दे दिया जो कि 5000 से 6000 के बीच है। जबकि हमारा मूल वेतन 10000/- से 35000/- तक है।
इसलिए हम सभी को न्याय दिलाया जाए, ताकि हम और हमारा परिवार भूखों मरने से
बच सके।