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  • फाइनल में इंग्लैंड को 7 रनों से हराया,
  • कपिल देव के एक निर्णय से टीम को हुआ नुकसान!
  • फाइनल मैच के मैन ऑफ द मैच रहे डेविड बून।
Editor Gyan Prakash
ज्ञान प्रकाश, संपादक. शारदा न्यूज़।

वर्ल्ड कप क्रिकेट का चौथा संस्करण इंग्लैंड से बाहर भारत में आयोजित किया गया। कोलकाता के इडेन गार्डन में 95 हजार से अधिक लोगो की मौजूदगी में हुए फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को सात रन से हरा कर विजेता बनने का गौरव हासिल किया। ऑस्ट्रेलिया के डेविड बून मैच ऑफ द मैच रहे।

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ऑस्ट्रेलिया 1987 में 50 ओवर प्रारूप क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली पहली टीम बन गई । टॉस जीतकर एलन बॉर्डर के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 253/5 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया के लिए सलामी बल्लेबाज डेविड बून ने सर्वाधिक 75 रन बनाए। माइक वेलेटा ने 31 गेंदों पर नाबाद 45 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया का कुल स्कोर 250 के पार पहुंचाया। उनकी पारी में छह चौके शामिल थे। इंग्लैंड के एडी हेमिंग्स दो विकेट लेने में सफल रहे।

मामूली स्कोर का जवाब देते हुए, इंग्लैंड जीत की ओर बढ़ रहा था।जब कप्तान माइक गेटिंग 41 और एलन लैम्ब 45 बीच में बल्लेबाजी कर रहे थे। हालाँकि, बिल एथे 58 और गेटिंग के विकेटों के बाद, इंग्लैंड के निचले क्रम के बल्लेबाजों को संघर्ष करना पड़ा क्योंकि मेजबान टीम 50 ओवरों में 246/8 तक ही सीमित थी। कप्तान एलन बॉर्डर (2/38) और स्टीव वॉ (2/37) के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की घातक गैंदबाजी ने ऑस्ट्रेलिया को सात रन से जीत दिला दी। फाइनल से पहले, अंतिम विजेता ऑस्ट्रेलिया ने लाहौर में पहले सेमीफाइनल में पाकिस्तान को 18 रन से हराया। दूसरे सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने मुंबई में भारत को 35 रनों से हराया था। यह पहली बार था कि क्रिकेट विश्व कप का आयोजन इंग्लैंड के बाहर किया गया था क्योंकि इसकी मेजबानी भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से की थी। इस विश्व कप में आठ टीमों ने भाग लिया और सेमीफाइनल और फाइनल सहित 27 मैच खेले गए।

 

1987 विश्व कप में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रोमांचक मुकाबला खेला गया। इस मैच के नतीजा आखिरी गेंद पर निकला और भारत के हाथों ये मैच आते-आते रह गया।

 

दरअसल, 1987 के विश्व कप में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों 1 रन से हार का सामना करना पड़ा था। ये मुकाबला चेन्नई में खेला गया था और इस मैच में कप्तान कपिल देव ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला किया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 50 ओवर में 270 रन बनाए। टीम की तरफ से डेविड बून (49) और जेफ मार्श (110) रन बनाकर भारतीय गेंदबाजों के होश उड़ाए। इसके जवाब में लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम की शुरुआत शानदार रही। सुनील गावस्कर ने मैच में 39 रन और कृष श्रींकात ने 70 रन की पारी खेली। गावस्कर के आउट होने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने शानदार बल्लेबाजी का नजारा पेश किया और टीम की पारी को संभाला। सिद्धू के बल्ले से कुल 73 रन निकले, लेकिन उनके आउट होते ही टीम इंडिया ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। खिलाड़ियों पर दबाव इतना आ गया कि आखिरी के दो विकेट रन आउट से गिरे।

1 छक्के ने पलट दिया था

मैच में सबसे ज्यादा चर्चा में रहा बाउंड्री विवाद जिसने भारत के हाथों ये जीता हुआ मैच छीन लिया। बता दें कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डीन जोन्स के चौके पर बाउंड्री पर फील्डिंग कर रहे रवि शास्त्री ने इसे चौका बताया था, लेकिन जोन्स ने पूरे यकीन के साथ कहा कि ये छक्का ही है। इसके बाद अंपायर ने भारतीय कप्तान कपिल देव से बातचीत की और कपिल देव ने खेल भावना के चलते इसे छक्का मान लिया। ऐसे में शास्त्री की बात को अनसुना कर कपिल देव की वजह से भारत को 1 रन से ये मैच हारना पड़ा।

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