एक तरफ मुंबई में 28 विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे हुए थे तभी सरकार की तरफ से वन इंडिया वन इलेक्शन का शगूफा छोड़ दिया गया।
देश के राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को छह सदस्यीय कमेटी का अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया गया। इससे विपक्षी दलों में खलबली मचनी स्वाभाविक थी और ऐसा हुआ भी। मुंबई की बैठक में भी ये मुद्दा चर्चा का विषय बना रहा।
पूरे देश के लिए एक चुनाव के प्रस्ताव पर देशव्यापी चर्चा होगी और पक्ष और विपक्ष में तर्क रखे जायेंगे।
सवाल ये नही है कि चुनाव को लेकर इस नई व्यवस्था के परिणाम क्या होंगे लेकिन अभी जो चर्चा शुरू हुई है उसमे कहा जा रहा है कि चुनावों के नाम पर खर्च होने वाले अरबों रुपयों के अलावा मानव श्रम हर चुनाव में खर्च होता है।
एक बार के चुनाव में हर स्तर के चुनाव हो जाएंगे। किसी का तर्क था कि इससे सरकारें तानाशाह भी हो सकती है। फिलहाल अभी बातें भविष्य के गर्त में है और इसको लागू करना भी आसान नहीं होगा, इसके लिए विपक्ष का जबरदस्त विरोध का सामना भी करना पड़ेगा।
हालांकि जिस तरह से राष्ट्रपति को अध्यक्ष बनाया गया है उसने मजबूत संदेश तो लोगो को दे दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस नई व्यवस्था को देश में लागू करना चाहते है। जिस तरह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा आज सुबह राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिलने गए और उसके तुरंत बाद एक देश एक चुनाव का मुद्दा उठा, उससे साफ जाहिर हो गया कि सरकाए इस व्यवस्था को लागू करने के लिए लंबे समय से तैयारी कर रही थी।
इस प्रस्ताव का भविष्य क्या होगा अभी कुछ कहना मुश्किल है।