- सोहराबगेट बस अड्डे के सामने से भी बड़ी संख्या में होकर गुजरते हैं कांवडिए, लगते हैं कांवड़ सेवा शिविर।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। कांवड़ यात्रा के दौरान हर साल जिला प्रशासन और रोडवेज ऐसा बेतुका फैसला करते हैं, जो शहरवासियों को राहत की बजाय परेशानी ज्यादा देता है।
दिल्ली रोड स्थित भैंसाली बस अड्डे को बंद करके अस्थायी रूप से गढ़ रोड स्थित सोहराबगेट बस अड्डे पर शिफ्ट कर दिया जाता है। इससे यहां बसों की संख्या तीन गुना होने से न केवल पूरे दिन अड्डे के बाहर जाम लगा रहता है, बल्कि कांवड़ियों के लिए वनवे होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन और रोडवेज को इसका विकल्प तलाश करना होगा। कांवड़ यात्रा के चलते भैंसाली बस अड्डे को सोहराबगेट बस अड्डे पर शिफ्ट किया जाता है।
इस बार भी भैंसाली बस अड्डे को दो अगस्त तक के लिए अस्थायी रूप से सोहराबगेट अड्डे पर शिफ्ट किया गया है। इसके चलते भैंसाली बस अड्डे से संचालित होने वाली बसों में से करीब 200 बसें सोहराबगेट अड्डे पर आ गई है। इन बसों का संचालन हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, बिजनौर, नजीबाबाद, नगीना, कोटद्वार, दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा आदि के लिए हो रहा है।
सोहराबगेट अड्डे से संचालित होने वाली 221 रोडवेज बसों के अलावा मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की 80 सिटी बसों के अलावा 50 से ज्यादा बसें अन्य डिपो की आती है। इस हिसाब से सोहराबगेट अड्डे पर 600 बसों का लोड आ जाता है। इतनी ज्यादा बसें आने के बाद इनके खड़े होने की कोई जगह नहीं है, जिस कारण ये न केवल मुख्य मार्ग पर दोनों तरफ लाइन लगाकर खड़ी रहती हैं, बल्कि गांधी आश्रम चौराहा से सूरजकुंड मार्ग पर भी चालक बसों को खड़ा कर देते हैं। जिससे पहले से ही कट बंद होने से परेशान लोग इन बसों के कारण और ज्यादा परेशानी झेल रहे हैं।
कांवड़ियों के मार्ग पर बस अड्डा क्यों
शोहराब गेट बस अड्डे पर भैसाली बस अड्डे की बसों को शिफ्ट करना किसी के गले नहीं उतर रहा है। क्योंकि शोहराब गेट बस अड्डे के सामने से भी कांवड़ियों का सैलाब गुजरता है। यहां से किठौर, शाहजहांपुर, गढ़मुक्तेश्वर के साथ ही उससे आगे जाने वाले कांवडिए गुजरते हैं। यही नहीं हापुड़ रोड जाने वाले भी काफी बड़ी संख्या में कांवडिएं शोहराब गेट बस अड्डे के सामने से गुजरते हुए तेजगढ़ी चौराहा से एल ब्लॉक तिराहे की तरफ होते हुए हापुड़ रोड पहुंचते हैं। ऐसे में प्रशासन और रोडवेज विभाग पर सवाल उठ रहा है कि जब यहां से कांवडिएं गुजरते हैं, तो फिर यहां पर दूसरा बस अड्डा शिफ्ट क्यों किया गया।
होना ये चाहिए था
लोगों की मानें तो मेरठ से हर रूट पर जाने वाली बस उस रूट के बाहरी क्षेत्र से संचालित होनी चाहिए। वहां तक आने-जाने के लिए ई रिक्शा आदि की सुविधा दिलाते हुए परिवहन व्यवस्था दुरूस्त रखी जाए। लेकिन कांवड़ यात्रा के दौरान बसों का आवागमन शहर में रोका जाए।