Home उत्तर प्रदेश Meerut कौन है वो सफेदपोश जिसने कराया सरकारी झील पर कब्जा ?

कौन है वो सफेदपोश जिसने कराया सरकारी झील पर कब्जा ?

- 13 अगस्त तक खाली करानी होगी नंगलागुंसाई की झील, राजनीतिक दबाव के चलते प्रशासन की गले की फांस बन गया है नंगलागुसांई में अभ्यारण्य स्थित झील पर कब्जे का मामला।

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  • एनजीटी ने दिया आदेश, डीएम कर चुके हैं एसडीएम को नोटिस जारी।

अनुज मित्तल, मेरठ। मवाना तहसील के परीक्षितगढ़ ब्लॉक स्थित नंगला गुंसाई का जंगल वन्य जीव संरक्षण (अभ्यारण्य) क्षेत्र के तहत आता है। यहां पर एक झील पर अवैध कब्जा कर उस पर बंगाली परिवारों का कब्जा कराते हुए मकान बनवा दिए गए हैं। ग्राम प्रधान द्वारा प्रशासन से शिकायत के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो मामला एनजीटी में चला गया। जहां सुनवाई के बाद डीएम को 13 अगस्त तक इस जमीन को खाली कराकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। जिसे लेकर अब हड़कंप मचा हुआ है। वहीं इस पूरे अवैध कब्जे के पीछे एक सफेदपोश के दबाव को लेकर प्रशासन परेशान है।

ये है मामला : परीक्षितगढ़ ब्लॉक का गांव नंगला गुंसाई के जंगल का क्षेत्र खादर में आता है जो कि वन्य जीव संरक्षण क्षेत्र में है। यहां पर एक झील भी है, जिसमें विदेशी पक्षियों के साथ ही जलीय जीव वास करते थे। लेकिन कुछ साल पहले अवैध रूप से इस झील पर बंगाली परिवारों का अवैध कब्जा कराते हुए उनके आवास बनवा दिए गए। लेकिन वोटों की राजनीति में किसी ने इस अवैध कब्जे को हटवाने का प्रयास नहीं किया।

वर्तमान ग्राम प्रधान सरिता सिंह जो कि इस पूरे मामले को लेकर एनजीटी गई हैं, उनका कहना है कि इन बंगाली परिवारों की वोट की राजनीति में अवैध कब्जा कराकर प्रकृति से खिलवाड़ किया जा रहा है। जब वह प्रधान बनी तो उन्होंने इसे लेकर साक्ष्य एकत्र किए तो पता चला कि उक्त जमीन राजस्व रिकार्ड में भी झील में दर्ज है। जिसकी शिकायत उन्होंने एसडीएम और डीएम से की। लेकिन सत्ता पक्ष के एक जनप्रतिनिधि ने अपनी वोटों की राजनीति में दबाव बनाते हुए इस मामले में कार्रवाई नहीं होने दी।

सरिता सिंह ने बताया कि जब प्रशासन और शासन से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने एनजीटी में वाद दायर कर दिया। जहां पर 16 जुलाई को डीएम की व्यक्तिगत मौजूदगी में सुनवाई हुई। जिसमें डीएम ने स्वीकार किया कि एसडीएम मवाना ने गलत रिपोर्ट दी है, जिस पर उन्हें नोटिस दिया गया है। वहीं डीएम ने स्वयं ही चार सप्ताह के भीतर जमीन को कब्जा मुक्त कराने का समय मांगा।

जिस पर एनजीटी के न्यायधीश सुधीर अग्रवाल और न्यायिक सदस्य डा. अफरोज अहमद ने चार सप्ताह में कब्जा हटवाने के साथ ही पांच सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का आदेश जारी किया। वहीं कोर्ट ने शासन को भी कब्जा करने वाले लोगों को पुर्नस्थापित करने के लिए शासन को भी पत्र लिखा है।।

कब्जा करने वाले बंगालियों के पास है खासी संपत्ति

सरिता सिंह ने बताया कि जिन बंगाली परिवारों ने जमीन पर कब्जा किया हुआ है। उनके रुद्रपुर सहित कई जगह आवास हैं। यहां पर करीब 105 परिवार रहते हैं, जिनके पास डेढ़ सौ से ज्यादा बाइक हैं। इसके अलावा अधिकांश के पास छोटा हाथी वाहन हैं, जिनसे वह सामान ढोने का काम करते हैं। इनके अलावा दिल्ली में भी इनके पास वाहन हैं जो किराए पर चलाते हैं। बावजूद इसके ये स्वयं को गरीब बताकर सरकारी जमीन पर कब्जा किए हुए हैं। यदि शासन इनकी गंभीरता से निष्पक्ष जांच कराए तो पूरा मामला खुल जाएगा। सरिता सिंह ने इन कब्जा करने वाले नेता के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है।

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