Home उत्तर प्रदेश Meerut पर्यावरण-संरक्षण के लिए एनसीआरटीसी का अनूठा प्रयास

पर्यावरण-संरक्षण के लिए एनसीआरटीसी का अनूठा प्रयास

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  •  निर्माण अपशिष्ट से बने लाखों ब्लॉक किए उपयोग
  •  कन्स्ट्रकशन एंड डेमोलिशन अपशिष्ट का निर्माण कार्य में किया जा रहा है पुन: उपयोग

शारदा रिपोर्टर

मेरठ। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से एनसीआरटीसी दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर निर्माण कार्य के फलस्वरूप निकलने वाले कन्स्ट्रकशन एंड डेमोलिशन अपशिष्ट का पुन: इस्तेमाल कर रहा है। इसके लिए एनसीआरटीसी ने इन अपशिष्टों से लाखों ब्लॉक तैयार किए हैं और उनका विभिन्न स्टेशनों आदि मे इस्तेमाल हो रहा है।

 

 

आरआरटीएस कॉरिडॉर के निर्माण कार्य के दौरान कन्स्ट्रकशन एंड डेमोलिशन के कार्यों के कारण काफी अपशिष्ट आदि का मलबा निकलता है। इस मलबे को गाजियाबाद के कन्स्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन वेस्ट (सीएंडडी) प्लांट में भेजा जाता है। वहां, बड़ी मशीनों आदि की मदद से उस मलबे को क्रश कर फिर से उपयोग के लिए तैयार किया जाता है। इस क्रशर से ब्लॉक बनाए जाते हैं और उन ब्लॉक का इस्तेमाल स्टेशन पर निर्माण कार्य में होता है। मेरठ में ब्रह्मपुरी से मोदीपुरम स्टेशन के बीच इस अपशिष्ट से बने करीब 2.5 लाख ब्लॉक का निर्माण कार्य में इस्तेमाल किया गया है।

मलबे अथवा निर्माण कार्यों के अपशिष्ट से बनने वाले इन ब्लॉक्स का उपयोग दीवार बनाने के साथ-साथ तकनीकी और गैर-तकनीकी कमरे आदि बनाने में किया जाता है। स्टेशन में सीढ़ियों के निर्माण में भी इन ब्लॉक का इस्तेमाल किया जाता है।

मलवे या अपशिष्ट को फिर से इस्तेमाल में लाने के कारण ईंटों का उपयोग कम होता है जिससे मृदा संरक्षण में मदद मिलती है। इससे कन्स्ट्रकशन एंड डेमोलिशन वेस्ट का प्रभावी निपटान तो होता ही है, साथ ही एनसीआरटीसी पर्यावरण संरक्षण मे भी योगदान दे रहा है।

निर्माण कार्य के दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार प्रयास किया जाता है। धूल-मिट्टी न उड़े इसके लिए दिन मे कई बार पानी का छिड़काव भी किया जाता है। वहीं सेगमेंट, गिर्डर, बीम आदि जैसी कंक्रीट संरचनाएं खुले में बनाने के बजाय इन्हें कास्टिंग यार्ड में तैयार किया जाता है। पूरी तरह तैयार होने के बाद इन संरचनाओँ को निर्माण साइट पर लाया जाता है, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आती है। साथ ही आमजन को भी कम परेशानी का सामना करना पड़ता है।

यात्रियों को गर्मी से बचाने के लिए एनसीआरटीसी ने स्टेशनों को तो हवादार बनाया ही है, आरआरटीएस कॉरिडोर को ईको-फ्रेंडली बनाने के लिए लाखों पेड़ और पौधे भी लगाए जा रहे हैं।

एनसीआरटीसी ने परियोजना की संकल्पना से लेकर कार्यान्वयन तक, निरंतर पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रियाओं को अपनाया है। फिलहाल साहिबाबाद से मोदीनगर नॉर्थ तक 8 स्टेशनो के साथ 34 किलोमीटर सेक्शन पर नमो भारत ट्रेन का संचालन हो रहा है। जून 2025 तक सम्पूर्ण कॉरिडॉर को परिचालित करने के लक्ष्यानुसार कार्य हो रहा है।

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