- बारिश के बाद शहर में सड़कों का बुरा हाल, पॉश इलाकों में भी हो गए हैं गहरे गड्ढे
शारदा रिपोर्टर मेरठ। शहर में 50 करोड़ खर्च करने के बाद भी निगम सड़कों की सूरत नहीं बदल सका। हाल ये है कि शहर में बनाई गई सड़के बारिश के बाद कुछ ही दिनों में उखड़ गईं। जबकि, इन सड़कों से निकलने वाले लोगों को सड़कों में गड्ढे होने के चलते खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सबकुछ जानकार भी नगर निगम अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।
अफसोस की बात यह है कि, मेरठ की सड़कें दुरुस्त करने की जुगत भी बदहाली का शिकार हो गई। चमचमाती सड़क बनने का सपना देखने वाले शहरवासियों को सालों बाद सड़क मिली भी तो 90 दिन के भीतर ही शहर की अधिकांश सड़कें फिर खस्ताहाल हो गईं। सड़क बनाने में इतनी घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया कि, बारिश के बाद सड़कें उधड़ गईं और गड्ढे में तब्दील होने लगीं।
जबकि, करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी निगम सड़कों की सूरत नहीं बदल सका। हाल ही में बनीं इन सड़कों को लेकर लोगों ने शिकायत करनी शुरू की तो अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार गुणवत्ता परखने निकले। जहां उन्हें चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी रोड़, गढ़ रोड, पांडवनगर, सूरजकुंड और गंगानगर सहित कई सड़कें बदहाल स्थिति में मिली। इस पर भुगतान में कटौती और अवर अभियंता, सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता को कारण बताओ नोटिस जारी करने की बात कही गई। लेकिन घटिया सड़कों के मामले में न ही कोई कार्रवाई की गई, न ही ठेकेदारों का भुगतान रोकने की पहल।
बढ़ी थी लोगों की उम्मीदें: खस्ताहाल सड़कों से दर्द झेल रहे लोग निगम की नई सरकार बनने के बाद सड़कों की तकदीर बदलने की उम्मीद लगाए बैठे थे। सात महीने के गुणा-भाग के बाद नगर निगम ने टेंडर प्रक्रिया शुरू की।
कई बार टेंडर प्रक्रिया ही अधर में लटक गई। लेकिन कुछ महीने पहले कई कोशिशों के बाद करीब 50 करोड़ की लागत से महानगर में सड़कें बनाने के टेंडर जारी किए गए। सड़कें बनीं तो जरूर, लेकिन तीन महीने में ही उखड़ती सड़कों पर लोग फिसलकर गिरने लगे।
सड़कों का निरीक्षण नगर निगम के अधिकारियों के नेतृत्व में टीम बनाकर किया गया। कई सड़कों के उधड़ने की शिकायत पर अवर अभियंता, सहायक अभियंता से कारण बताओ नोटिस दिया गया है। ठेकेदारों के भुगतान से कटौती के भी निर्देश दिए गए हैं। – प्रमोद कुमार, अपर नगर आयुक्त
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