शारदा न्यूज रिपोर्टर
मेरठ। पिछले एक सप्ताह से पड़ रही हाड़ कंपाने वाली सर्दी और कोहरे की वजह से बीमारियां भी बढ़ रही है। इसके साथ ही ठंड की वजह से लकवे के शिकार मरीज भी बढ़ रहे हैं। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में इस साल एक जनवरी से नौ जनवरी तक लकवे (फेस पैरालिसिस) के 500 से ज्यादा ज्यादा मरीज न्यूरोलॉजी (तंत्रिका विज्ञान) की ओपीडी में आए। इनमें से 125 को भर्ती करना पड़ा है। यह बीमारी गंभीर है और जान के खतरे के साथ जीवन भर की अपंगता भी इससे हो सकती है।
मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. दीपिका सागर ने बताया कि करीब 70 प्रतिशत मरीजों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, धूम्रपान व का सेवन, हृदय रोग, मानसिक तनाक, व्यायाम की कमी, महिलाओं में गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन आदि लकवे का कारण होते हैं, जबकि 30 फीसदी में लकवे का कोई निश्चित कारण नहीं होता है। उन्होंने बताया कि सर्दी में रक्त का संचार सही से नहीं हो पाता है। वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. वीके बिंद्रा ने बताया कि हृदय रोग की तरह लकवे के इलाज में भी समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। अगर मरीज की रक्त नलिका में थक्का जमने के कारण लकवा हुआ और उसे तीन से चार घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचाया जाए तो उसकी जान को ज्यादा खतरा नहीं होगा। जबकि 30 फीसदी रोगियों को अगले कुछ महीने में लकवे की आशंका का संकेत मिल जाता है।
चिकित्सकों के मुताबिक, अगर आधे अंग में कमजोरी या सुन्नपन महसूस हो रहा है, थोड़ी देर के लिए नजर की रोशनी कम हो जाना, कुछ वक्त के लिए समझने में तकलीफ होना, चक्कर, सिरदर्द, धुंधला दिखना, उल्टी आना आदि लकवे के संकेत हैं, इन्हें नजरअंदाज न करें।