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आखिर कब है अष्टमी-नवमी? क्यों हैं कन्फ्यूजन, यहां जानें सही तारीख और पूजा का मुहूर्त

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डॉ शिवानी प्रधान, वैदिक ज्योतिष

मेरठ– 03 अक्टूबर 2024 से नवरात्री शुरु हो चुकी है। ऐसा माना जाता है कि इन नौ दिनों की अवधि में मां दुर्गा का धरती पर आगमन होता है और वह अपने भक्तों के कष्टों का निवारण करती हैं। इस अवधि में अष्टमी और नवमी तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस बार अष्टमी और नवमी का व्रत किस दिन किया जाएगा। साथ ही जानते हैं इनकी पूजा विधि।

कब है अष्टमी और नवमी ?

पंचांग के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्र (Navratri 2024) में चतुर्थी तिथि में वृद्धि है, वहीं नवमी तिथि क्षय हो रहा है। पंचांग के मुताबिक इस बार सप्तमी और अष्टमी तिथि दोनों एक ही दिन यानी 10 अक्टूबर को पड़ रही हैं और शास्त्रों में सप्तमी और अष्टमी का व्रत एक ही दिन करना शुभ नहीं माना जाता। ऐसे में महाअष्टमी और महानवमी एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

जानें पूजा विधि

इस बार महाअष्टमी और महानवमी एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को मनाई जा रही हैं। ऐसे में इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजा स्थान की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद माता रानी के समक्ष दीपक जलाएं और मां दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करें। पूजा के दौरान माता रानी को अक्षत, सिंदूर लाल, फूल और प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद में माता दुर्गा को सात्विक भोजन जैसे खीर, चने और पूरी अर्पित कर सकते हैं। धूप और दीप जलाने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में सह परिवार माता की आरती करें।

जरूर करें कन्या पूजन

महाष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है। ऐसे में इस तिथि पर पूजा के बाद अपने घर 8 या 9 कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें। अब उन्हें पूरी, चने, नारियल और हलवे को भोग के रूप में खिलाएं। विदा करने से पहले उन्हें कुछ-न-कुछ उपहार जरूर दें और उनसे आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा करें। ऐसा करने से माता रानी आपसे प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्रि इस बार तीन अक्टूबर से शुरू हो गई हैं। इस बार 11 अक्टूबर को महाष्टमी और महानवमी का व्रत होगा। विभिन्न पंचांगों के अनुसार इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि तथा नवमी तिथि का क्षय है। 10 अक्टूबर को आतर है। 11 अक्टूबर को महाअष्टमी और नवमी की पूजा होगी। शास्त्रों के अनुसार सप्तमी और अष्टमी मिला रहने पर महाअष्टमी का व्रत निषेध माना गया है। 10 को सप्तमी और अष्टमी दोनों है। इसलिए श्रद्धालु अष्टमी की पूजा न कर सिर्फ सप्तमी की पूजा करेंगे। अष्टमी तिथि का शुभारंभ 10 को दोपहर 12:32 से होगा, जो 11 अक्टूबर को 12:07 तक रहेगी। नवमी 11 अक्तूबर को 12:08 पर लग जाएगी।

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