Home उत्तर प्रदेश Lucknow यूसीसी पर जंग: जनआंदोलन शुरू करने की तैयारी

यूसीसी पर जंग: जनआंदोलन शुरू करने की तैयारी

0
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता बोले, मुसलमानों को स्वीकार नहीं

लखनऊ। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समान नागरिक संहिता कानून को अदालत में चुनौती देगा। बेंगलुरु में हुए अधिवेशन में निर्णय लिया गया। उत्तराखंड सरकार के फैसले का विरोध हुआ। वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने पर आंदोलन शुरू करने पर सहमति बनी।
आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उत्तराखंड में यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी) अर्थात समान नागरिक संहिता बनाए जाने के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेगा। बोर्ड ने 23-24 नवंबर को बेंगलुरु में हुए 29वें अधिवेशन में यह निर्णय लिया। अधिवेशन में वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पास होने पर दिल्ली से लोकतांत्रिक तरीके से जनआंदोलन शुरू करने पर भी सहमति बनी।

बेंगलुरु स्थित जामिया सबीलुर्रशाद में आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी की अध्यक्षता में हुए अधिवेशन में वक्फ संशोधन विधेयक को वक्फ संपत्तियों को हड़पने वाला बताया गया। बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. कासिम रसूल इलियास ने बताया कि बोर्ड ने संयुक्त संसदीय समिति को अपनी आपत्तियां पेश की हैं।

 

साथ ही क्यूआर कोड के जरिये पांच करोड़ मुसलमानों ने इसका विरोध किया है। यह बड़ी संख्या है, लिहाजा सरकार को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि एनडीए के सहयोगियों सहित विपक्षी दलों से मुलाकात कर बिल को खारिज करने का अनुरोध किया गया है। अगर बिल पारित होता है तो लोकतांत्रिक तरीके से जनआंदोलन शुरू किया जाएगा। आंदोलन का आगाज दिल्ली से होगा।

संविधान में यूसीसी सिर्फ निर्देश, अनिवार्य नहीं: बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि यूसीसी संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। यह मुसलमानों को स्वीकार्य नहीं है। बोर्ड ने इसे भाजपा सरकार की साजिश बताया। कहा, संविधान में धर्म को मानने, उसका प्रचार करने और पालन करने को मौलिक अधिकार घोषित किया गया है। संविधान में यूसीसी सिर्फ एक निर्देश है, अनिवार्य नहीं है। इसे अदालतों द्वारा भी नहीं लागू किया जा सकता है।

कहा, उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रस्तावित यूसीसी को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। अधिवेशन में बोर्ड ने गाजा और लेबनान में इस्राइल की ओर से किए जा रहे नरसंहार पर मुस्लिम देशों और यूरोप की चुप्पी पर चिंता जताई गई। बोर्ड ने नरसंहार रोकने और इस्राइली सैनिकों की वापसी की मांग की।

ईश निंदा पर बने कानून

बोर्ड के प्रवक्ता ने बताया कि अधिवेशन में बोर्ड ने पैगम्बर मोहम्मद साहब पर अपमानजनक बयानों को लेकर चिंता जताई। बोर्ड ने पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ अपमानजनक बयान देने वालों पर कार्रवाई न होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने बताया कि बोर्ड ने सरकार से ईश निंदा कानून बनाने की मांग की। ताकि, सभी धार्मिक और पवित्र हस्तियों के अपमान पर रोक लगे। उन्होंने बताया कि अधिवेशन में 1991 में बने पूजा स्थल अधिनियम को बहाल करने की मांग की गई।

 

सर्वसम्मति से बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए मौलाना रहमानी

अधिवेशन में बोर्ड के सभी 251 सदस्यों ने सर्वसम्मति से मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी को फिर बोर्ड का अध्यक्ष चुना। बोर्ड के अध्यक्ष ने अन्य पदाधिकारियों को भी नियुक्त किया है। बोर्ड के पूर्व सह प्रवक्ता कमाल फारूकी को कार्यकारिणी सदस्य नहीं चुना गया। बोर्ड के पूर्व महासचिव स्व. मौलाना वली रहमानी के बेटे फैसल रहमानी की सदस्यता अमेरिका की नागरिकता होने से लीगल कमेटी को सौंपी गई है। लीगल टीम तय करेगी कि विदेशी नागरिक को बोर्ड का सदस्य या पदाधिकारी बनाया जा सकता है या नहीं।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here