Home Meerut वोटरों की खामोशी और बंटवारे ने त्रिकोणीय बना दिया मुकाबला

वोटरों की खामोशी और बंटवारे ने त्रिकोणीय बना दिया मुकाबला

0

– मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर दोपहर तक के मतदान ने उलझाए आंकड़े


अनुज मित्तल, समाचार संपादक

मेरठ। इस बार लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की खामोशी के बीच वोटों के हुए बंटवारे ने सारे कयास उलझाकर रख दिए। हालात ऐसे रहे कि दोपहर तक सभी राजनीतिक दलों के दिग्गज भी अपने-अपने पक्ष में रूझान की समझ के लिए माथापच्ची करते नजर आए।

मेरठ सीट से भाजपा ने अभिनेता अरुण गोविल, बसपा ने देववृत्त त्यागी और सपा ने पूर्व महापौर सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा है। इन तीनों के बीच ही शुरू से कांटे की टक्कर मानी जा रही थी। बसपा को जहां सर्वण वोटों के साथ ही मुस्लिम बंटवारे के बीच अपने कोर वोटर दलितों के साथ जीत की उम्मीद है। वहीं समाजवादी पार्टी ने दलित चेहरे पर दांव लगाते हुए मुस्लिम वोटों के धु्रवीकरण के साथ ही दलित वोटों में सेंधमारी के साथ अन्य वोटों में बंटवारे की उम्मीद से जीत का गणित लगाया हुआ है। वहीं भाजपा अपनी लगातार पिछले तीन सालों से जीत के आंकड़ों को सामने रखते हुए अपने कट्टर वोट बैंक के साथ जीत की पूरी उम्मीद है।

लेकिन शुक्रवार को मतदान शुरू होने के साथ ही सारे कयास उलझते चले गए। जहां पर वोटों के बंटवारे की उम्मीद थी, वहां पर बंटवारा नजर नहीं आया। जबकि जहां पर बंटवारे की उम्मीद नहीं थी, वहां पर बंटवारा हो गया। जिसके कारण हर किसी के समीकरण उलझ कर रहे गए।

भाजपा के पक्ष में अप्रत्याशित रूप से अब्दुल्लापुर जैसे वार्ड में जहां मुस्लिम बंटते नजर आए, तो दलित वोट यहां बसपा को छोड़कर सपा के पक्ष में जाता हुआ नजर आया। दलित वोटों में दोनों तरफ बंटवारा हुआ, तो मुस्लिमों अन्य जगहों पर लगभग धु्रवीकरण नजर आया। यही नहीं बसपा को त्यागी वोटों के धु्रवीकरण की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं ठाकुर वोटों की नाराजगी भी आज भाजपा से बहुत कम नजर आयी।
लेकिन इस सारे आंकड़ों के बीच चुनावी समीकरण मतदान कम होने के चलते उलझ कर रह गए। हालांकि तीनों ही पार्टियों के नेता और प्रत्याशी अपने-अपने पक्ष में मतदान की बात करते हुए जीत का दावा कर रहे हैं। लेकिन जीत का गणित दोपहर तक किसी के पास नजर नहीं आ रहा था।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here