मेरठ। डा. दिलफुजा जब्बोरोवा सह-आचार्य इंस्टीटयूट ऑफ जेनेटिक्स एंड प्लांट एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी एकेडमी ऑफ साइंसेज ऑफ उज्बेकिस्तान ने चौधरी चरण सिंह विश्वविवद्यालय में अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के एमएस स्वामीनाथन हॉल में एन.ई. बोरलॉग व्याख्यान माला के तहत पौधों और मिट्टी के गुणों की वृद्धि और शारीरिक विशेषताओ पर बायोचार अनुप्रयोग का प्रभाव विषय पर व्याख्यान दिया।
बायोचार का अधिकांश हिस्सा पौधों और जानवरों के बायोमास जैसे आवासीय पौधों की कटाई, खाद्य प्रसंस्करण के अवशेष, या वानिकी की कटाई से बनाया जाता है। बायोचार ऊर्ध्वाधर खेती में वृद्धिकर माध्यम के अंश के रूप में प्रयुक्त किया सकता है। जब बायोचार वृद्धिकर माध्यम के अंश के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, तो वह नाइट्रोजन-यौगिकीकारी सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को बढ़ावा देता है। बायोचार के दो स्तर का तुलसी के बीज के अंकुरण, पौधे की ऊंचाई, पत्ती की लंबाई, पत्ती की संख्या और पत्ती की चौड़ाई, अंकुर और जड़ के वजन पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
शोध में पाया गया कि काली चेरी बायोचार ने बीज के अंकुरण, पौधे की वृद्धि और तुलसी की जड़ की वृद्धि में उल्लेखनीय वृद्धि की।
उक्त कार्यक्रम में प्रो. जितेन्द्र ढाका विभागाध्यक्ष उद्यान विभाग विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे तथा अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रो. एच. एस. बलियान प्रो. शैलेन्द्र सिंह गौरव प्रो. राहुल कुमार विभागाध्यक्ष तथा शैलेन्द्र शर्मा संकायाध्यक्ष कृषि डा. धमेन्द्र प्रताप डा. सचिन कुमार एवं विभाग के समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।