- पूर्व विधायक ठा. संगीत सोम ने बालियान के आरोप पर दिया जवाब।
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान के आरोपो पर संगीत सोम ने प्रेस कान्फ्रेंस कर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरधना में वो हारे नहीं है, बल्कि जीते हैं। लेकिन वह अपनी मूल विधानसभा बुढ़ाना से इतने अंतर से क्यों हारे।
ठा. संगीत सोम ने कहा कि यूपी में सपा सरकार ने जब आतंक मचाया था तब भी जानता के लिए लड़े, अखिलेश सरकार ने मेरे लोगों पर गोली चलाई, आतंकवाद के मुकदमे लगवाए, मुझे 800 किलोमीटर दूर जेल में भेजा, जेल खाली करा दी ताकि मनोबल गिर मेरा। लेकिन मैं कमल के फूल के लिए काम करता हूं किसी नेता के लिए नहीं। मुझे सरधना की जिम्मेदारी दी थी।
संगीत सोम ने कहा कि बालियान द्वारा सरधना में विकास नहीं कराया गया, लोगों को जेल भेजा गया, विपरीत परिस्थितियों में भी बीजेपी सरधना विधानसभा में बराबर में रही। उन्होंने कहा कि जिस खतौली में बीस से तीस हजार की जीत होती थी, उस खतौली से मात्र दो हजार की जीत क्यों हुई? संजीव बालियान ये भी बताएं कि वो बुढ़ाना और चरथावल क्यों हारे? मुजफ्फरनगर विधानसभा में मात्र 800 से जीते। वह इसके लिए चिंता मंथन करे क्यों हारे, किसी की गलती और शिकायत है, तो पार्टी फोरम पर बात करें न कि मीडिया के सामने रखे।
मैं इसलिए मीडिया के सामने आया कि मेरे पर आरोप लगाए, जांच हो मैं भी 2022 में हारा, पार्टी जांच कर रहो होगी। मैंने हार का ठीकरा किसी पर नहीं फोड़ा। संजीव बालियान से कहूंगा हम घर की लड़ाई बाहर नहीं लड़ाएंगे। मैंने सरधना नहीं हारने दी, मैं भाजपा का समर्थित और समर्पित कार्यकर्ता हूं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरे बाप मां ने ऐसे संस्कार नहीं दिए की किसी को शिखंडी और विभीषण कहूं। पत्थर पर सिर पटक कर कुछ नहीं होता, समंदर को वापिस आना है या नहीं वह समंदर जाने। मैं विकास की राजनीति करता हूं विनाश की नहीं, मैं हिंसा की राजनीति नहीं करता। सोरम में प्रदेश अध्यक्ष और कई नेता गए फिर क्यों हारे सोरम, मैंने चुनाव सरधना का नहीं हारने दिया। ठाकुरों की नाराजगी के बाद विधानसभा नहीं हारने दी। मेरी किसी से दुश्मनी नहीं, हरेंद्र से भी हाथ मिलाऊंगा और बसपा के नेता मिलेंगे तो उनसे भी। हिंदू वोटो का कम निकालना, किसी कारणवश डिविजन होना हार का कारण है।
संगीत सोम ने कहा कि आरएलडी के आने से बीजेपी को फायदा नहीं बल्कि उलटा नुकसान हुआ है। आरएलडी ने भाजपा के दम पर अपनी सीट तो जीत ली, लेकिन भाजपा को कहीं पर भी लाभ नजर नहीं आया।