2019 में बकरीद पर लिसाड़ी गेट पुलिस ने 22 ऊंट किए थे जब्त।
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। 22 ऊंटों के मामले में पुलिस और प्रशासन ने मिलकर पूरा मामला निपटाने की तैयारी कर ली है। यही नहीं ऊंटों के मालिकाना हक को लेकर दावेदारी जता रहे दोनों लोगों को सिटी मजिस्ट्रेट ने नोटिस भेजकर 19 जून तक मलिकाना हक के साक्ष्य मांगे हैं।
2019 में राजस्थान से 28 ऊंट खरीदकर लाए गए थे। बकरीद पर कुबार्नी के लिए 6 ऊंटों की बिक्री हो चुकी थी, जबकि 22 ऊंटों को पुलिस ने उनकी कुबार्नी पर प्रतिबंध होना बताकर पकड़ लिया था।
लिसाड़ीगेट थाना पुलिस ने उक्त ऊंटों को पूर्व सांसद मेनका गांधी की संस्था पीपुल फॉर एनिमल सोसाइटी के एक सदस्य की पुलिस द्वारा सुपुर्दगी में देना बताया। ऊंट मालिक ने पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगाई। ऊंट लेने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पांच साल कानूनी लड़ाई लड़ी। कोर्ट ने मेरठ सिटी मजिस्ट्रेट को आदेश कर दिया कि ऊंट वापस कराए जाएं।
सिटी मजिस्ट्रेट ने लिसाड़ी गेट पुलिस को नोटिस भेजकर ऊंटों की तलाश और साक्ष्य प्रस्तुत करने के निर्देश दे दिए। अभी मामला चल ही रहा था कि कोर्ट से एक और नोटिस सिटी मजिस्ट्रेट के पास पहुंच गया।
सिटी मजिस्ट्रेट अनिल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उस्मान और अनस नाम के दो व्यक्ति सभी ऊंटों पर अलग-अलग मालिकाना हक बता रहे हैं। दोनों ने कोर्ट में याचिका लगा रखी है। ऊंट किसके हैं, पहले यह जांच होना अनिवार्य है। मामले की अगली सुनवाई हाईकोर्ट में हो, उससे पहले सिटी मजिस्ट्रेट ने उस्मान और अनस को नोटिस भेज दिया और 19 जून (तीन सप्ताह का समय) तक अपने अपने मालिकाना हक के साक्ष्य प्रस्तुत करने की
बात कही।
पुलिस भी दिल्ली और राजस्थान में ऊंटों की तलाश में गई थी। ऊंटों को सुपुर्दगी में ले जाने वाले युवक ने पुलिस को बताया है कि सभी ऊंटों की मृत्यु हो चुकी है। जिसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी उन्होंने मेरठ पुलिस को सौंप दी। पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर केस खत्म करने की तैयार कर ली है।