लोगों को नोच रहे कुत्ते-बंदर

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  • 50 से अधिक मोहल्लों- 200 कालोनियों में बंदरों का खौफ।

शारदा न्यूज, रिपोर्टर |

मेरठ। शहर के लोग खूंखार कुत्तों व बंदरों के आतंक से परेशान हैं, लेकिन नगर निगम की निष्क्रियता कम होने का नाम नहीं ले रही। आए दिन बच्चों से लेकर बड़े तक कुत्तों व बंदरों का शिकार हो रहे हैं लेकिन निगम अधिकारी न कुत्ते पकड़ रहे और न ही इनकी नसबंदी करा पा रहे। घटना होने पर अफसर कार्रवाई के दावों की झड़ी तो लगा देते हैं लेकिन हकीकत में वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति रहती है। बंदर पकड़ने में नगर निगम और वन विभाग के अफसर नियम- नियम खेल रहे हैं। निगम यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि वन विभाग बताए कि बंदर पकड़ने के बाद छोड़ें कहां। वन विभाग इतने नियम गिनाने लगता है कि सब उसी में उलझकर रह जाते हैं। इनके नियमों के बीच अगर कोई पिस रहा है तो वह है आम जनता जो ऐसे खूंखार जानवरों का शिकार हो रही है।

 

पिछले छह महीने की बात करें तो जिले में पिटबुल कुत्ते के हमले की 13 घटनाएं हो चुकी हैं। नंगलाहरेरू, सिसौली, रुहासा, खरखौदा, मवाना, कंकरखेड़ा, पसवाड़ा व मोदीपुरम की घटना में मुकदमा तो दर्ज हुआ लेकिन न पिटबुल जब्त हुआ और न ही कोई आरोपित गिरफ्तार हुआ। शहर में प्रतिबंधित नस्ल के हजारों कुत्ते पाले जा रहे हैं लेकिन निगम को न इनके के लिए समय है। सोमवार को ही एक पिटबुल इतना खूंखार हो गया कि उसने देसी कुत्ते को मौत के घाट उतार दिया। चुनाव के समय हर सुख-दुख में साथ निभाने का दावा, वादा करने वाले जनप्रतिनिधि भी विकास के सपने दिखा रहे हैं, सरकारी योजनाओं का गुणगान कर रहे हैं लेकिन इस गंभीर समस्या से उनका भी कोई लेना-देना नहीं है। इन्हीं सब का परिणाम है कि लोग बेमौत मर रहे हैं, अपंग तक हो रहे हैं और जिम्मेदार चैन की बंशी बजा रहे हैं।

 

मकान की छत व बाहर बैठने में डर रहे लोग

मेरठ। पंद्रह दिन के भीतर बंदरों के हमले से इंदिरा नगर और जागृति विहार में हुई घटनाओं को लेकर शहर के लोगों में भारी आक्रोश है। सोमवार को बड़ी संख्या में पार्षदों ने इस समस्या को लेकर नगर आयुक्त से लेकर जिलाधिकारी तक से मुलाकात की। जल्द से जल्द बंदरों को पकड़वाने की गुहार लगाई।

पार्षदों में अनिल कुमार, पंकज गोयल, दिग्विजय सिंह, सुमित कुमार, संदीप रेवड़ी सबसे पहले नगर आयुक्त डा. अमित पाल शर्मा से मिले। लेकिन यहां से समाधान नहीं मिला तो सभी जिलाधिकारी दीपक मीणा से मिलने पहुंच गए। जिलाधिकारी को इंदिरा नगर और जागृति विहार की घटना से अवगत कराया। कहा कि इंदिरा नगर में बंदरों के हमले से मकान की दूसरी मंजिल स्थित छत से गिरकर बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया था। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद जागृति विहार सेक्टर सात में बंदरों के हमले से वृद्ध महिला गंभीर रूप से घायल हो गईं।

पार्षदों ने जिलाधिकारी को बताया कि वह नगर आयुक्त और डीएफओ से पहले भी मिल चुके हैं। नगर निगम और वन विभाग में समन्वय का अभाव है। जिलाधिकारी से गुहार लगाई कि दोनों विभागों में समन्वय बनवाकर बंदरों से शहरवासियों को निजात दिलाएं। पार्षदों को जिलाधिकारी दीपक मीणा ने समिति बनाकर जल्द समाधान का आश्वासन दिया है।

 

बंदरों को पकड़वाने के लिए नगर निगम तैयार है

डीएफओ से बात की है। उत्पाती बंदरों को चिह्नित करने की प्रक्रिया वन विभाग ने इसी सप्ताह से शुरू करने की बात कही है। जल्द बंदर पकड़वाने का कार्य प्रारंभ होगा। डा. अमित पाल शर्मा, नगर आयुक्त

 उत्पाती बंदरों को चिह्नित करने में वन विभाग नगर निगम की मदद करेगा। इसी सप्ताह यह कार्य शुरू हो जाएगा। इसके अलावा लंगूर के कटआउट लगाने समेत अन्य समाधान पर भी बात चल रही है। राजेश कुमार, डीएफओ

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