– गंगानगर में महापौर की नाक के नीचे हो रहा सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार !
– मामला संज्ञान में आते ही नगरायुक्त अमित पाल शर्मा ने रोका ठेकेदार का वेतन


शारदा रिपोर्टर

मेरठ। गंगानगर क्षेत्र में ठेकेदार द्वारा बनाई गई सड़क भ्रष्टाचार की पोल खोलती दिखाई दे रही है। जिसका जीता जागता सबूत क्षेत्रवासियों को देखने को मिल रहा है।

 

 

corruption in road construction: वीडियो में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि सड़क किस तरीके से हाथों से उखड़ रही है। इस बात की शिकायत मिलते ही क्षेत्रवासी रात्रि में पहुंचे और देखा तो वास्तव में ही सड़क ऐसे टूट रही है कि जैसे कोई पापड़ टूट जाता है। जिसको देखकर क्षेत्रवासियों में काफी रोष है। क्षेत्र वासियों का कहना है कि महज 15 घंटे में यह सड़क उखड़ गई है और नगर निगम के भ्रष्ट अफसर और ठेकेदार ने यह सड़क बनाने में बहुत बड़ा खेल कर दिया है।

 

क्षेत्र वासियों का यह भी कहना है कि नगर निगम के मेयर हरिकांत अहलूवालिया भी इस सड़क से मात्र 50 मीटर की दूरी पर रहते हैं और प्रदेश सरकार के मंत्री भी इस सड़क से लगभग 100 मीटर की दूरी पर रहते है। बावजूद इसके भी ठेकेदार और अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का जीता जागता सबूत इस सड़क को बनाने में किया है। जिसके चलते क्षेत्रवासियों में भारी रोष है और इन सभी लोगों के खिलाफ प्रदेश के मुख्यमंत्री से शिकायत करने की बात कही है।
बता दें कि, अभी कुछ दिन पूर्व एक ऐसा ही मामला मेरठ के माधवपुरम में देखने को मिला था। वहां भी कुछ इसी तरीके से सड़क हाथों से उखड़ रही थी। अब फिर मेरठ के ही गंगानगर में एक ऐसा मामला देखने को मिला है।

 

भाजपाई ठेकेदार कर रहे भ्रष्टाचार

नगर निगम क्षेत्र में इस समय जितने भी ठेकेदार काम कर रहे हैं, उनमें अधिकांश भाजपाई हैं। कई महानगर पदाधिकारियों ने जहां अपने परिवार वालों के नाम से कंस्ट्रक्शन कंपनी रजिस्टर्ड कराकर निगम में ठेके लिए हुए हैं, तो कई जनप्रतिनिधियों ने अपने खास चहेतों को ठेके दिलवाए हुए हैं। जिसके कारण पूरे महानगर क्षेत्र में नगर निगम के ठेकेदार मनमाना रवैया अपनाते हुए सड़क, नाली और नाला निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। अधिकारी भी इनके लिए आनी वाली सिफारिशों को देख चुप्पी साधकर बैठे हुए हैं।

 

होनी चाहिए एफआईआर

इस पूरे मामले में गंगानगर क्षेत्र के लोगों का कहना है कि भुगतान रोकने से कुछ नहीं होगा। नगरायुक्त को भ्रष्ट ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही उन्हें ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए।

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