आवारा कुत्तों का आंतक
  • सामाजिक संगठन कोशिश के पदाधिकारियों ने स्थानीय लोगों से जानी समस्याएं।
  • हिंसक कुत्तों के आक्रमण के शिकार लोगों में है दहशत।
  • निगम के पास केवल 130 आवारा कुत्तें रखने की क्षमता।

शारदा न्यूज़, मेरठ। शहर में लगातार बढ़ रही आवारा कुत्तों की आबादी से आम जनता भी परेशान है। रिहायशी इलाकों में लोगों का सड़कों पर निकलना दुश्वार हो रहा है। आवारा कुत्ते सबसे ज्यादा बुजुर्ग और बच्चों को निशाना बना रहे है। जबकि नगर निगम सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को पकड़ने के साथ उनकी नसबंदी करने के दावें करता है जो खोखले साबित हो रहे है। अब प्रहलादनगर के लोगों ने सामाजिक संगठन कोशिश के साथ मिलकर आवारा कुत्तों से निजात दिलाने की मांग की है।

– रात को वाहनों के पीछे दौड़ते है आवारा कुत्तें

प्रहलादनगर में रहने वाली जनता का कहना है अंधेरा होते ही आवारा कुत्तों का झुंड सड़कों पर जमा हो जाता है। यह न सिर्फ सड़क पर पैदल चलने वालों को निशाना बनाते है बल्कि दुपहिया वाहनों से गुजरने वाले लोगों को भी नहीं बख्शा जाता है। वाहनों के पीछे दौड़ने के बाद यह वाहन रूकते ही उसपर सवार को काटने के लिये पीछे पड़ जाते है।

– बच्चों व बुजुर्गो को सबसे ज्यादा खतरा

स्थानीय लोगों का कहना है आवारा कुत्तों से सबसे ज्यादा बुजुर्ग व बच्चों को खतरा है। यह कुत्तें ऐसे बच्चों को शिकार बनाते है जो स्कूल आते-जाते है। इसके साथ ही वह बच्चे जो अकेले खेलने के लिए घर से बाहर निकलते है। इसी तरह वह बुजुर्ग जो सुबह-शाम घूमने के लिए सड़कों पर निकलते है वह भी इन आवारा कुत्तों का आसानी से शिकार बनते है।

– शहर में आवारा कुत्तों की आबादी 80 हजार से ज्यादा

सामाजिक संगठन कोशिश के पदाधिकारियों ने प्रहलादनगर के लोगों से मिलकर उनकी समस्याओं को जाना। बताया जा रहा है इस समय शहर के रिहायशी इलाकों में आवारा कुत्तों की आबादी 80 हजार को पार कर चुकी है। जबकि नगर निगम ने कभी इसपर अंकुश लगाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए।

– आवारा कुत्तों को रखने के लिए निगम के पास संसाधन नहीं

नगर निगम के पशुधन एवं कल्याण अधिकारी डा. हरपाल सैनी से बात की गई तो उन्होंने कहा आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए निगम के पास दो टीमें है। इसके साथ ही एक साथ कुल 130 आवारा कुत्तों को ही निगम रख सकता है। इन कुत्तों का आॅप्रेशन करने से लेकर ठीक होने में चार से पांच दिनों का समय लगता है। इसके बाद इन कुत्तों को वापस छोड़ना पड़ता है। इस वजह से इनकी बढ़ती आबादी पर अंकुश लगाने में समय लगता है।

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