नई दिल्ली। सरकार नया आपराधिक कानून लागू करने जा रही है। इसके बाद पुरानी धाराएं खत्म हो जाएंगी। नई धाराएं लागू हो जाएंगी। इसको लेकर सभी पुलिस लाइनों में प्रशिक्षण चल रहा है। वहीं, अधिवक्ता भी नए कानून की किताबें पढ़ रहे हैं।
आप पुलिस कर्मचारी या अधिवक्ता भले ही न हो लेकिन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की 302, 307, 376 जैसी धाराओं का मतलब बखूबी जानते होंगे। हत्या, हत्या का प्रयास, दुष्कर्म की प्रचलित ये धाराएं अब एक जुलाई से दफा जाएंगी। सरकार नया कानून लागू करने जा रही है। एक जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) खत्म हो जाएगी। इसके बदले भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) लागू हो जाएगी।
थानों से लेकर अदालतों में अभी तक अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1860 में बनाए गए कानून आईपीसी को ढोया जा रहा था। इसी के तहत रिपोर्ट दर्ज होती थी और अदालतों में सुनवाई होती थी। किसी भी एफआईआर को देखे तो उसमें सबसे पहले भारतीय दंड संहिता 1860 ही लिखा होता था। एक जुलाई से इसकी जगह एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता लिखा मिलेगा। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं हैं।
पुलिस लाइनों में इसको लेकर प्रशिक्षण चल रहा है। वहीं, अधिवक्ता भी नए कानून की किताबें पढ़ रहे हैं। हत्या के लिए अभी तक धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज होती थी, लेकिन एक जुलाई से धारा 103 के तहत रिपोर्ट दर्ज होगी। दुष्कर्म की धारा 376 की जगह मामला अब धारा 63 में दर्ज होगा। छेड़खानी की धारा 354 अब मानहानि की धारा होगी। पहले मानहानि की धारा 499 हुआ करती थी।
इन मामलों में फॉरेंसिंक रिपोर्ट अनिवार्य
डकैती की धारा 395 की जगह 310 (2) होगी। हत्या के प्रयास में अभी तक धारा 307 लगती थी, लेकिन अब 109 के तहत रिपोर्ट दर्ज होगी। धोखाधड़ी के मामले धारा 420 की जगह 316 में लिखे जाएंगे। इसी तरह से सभी अपराध की धाराएं परिवर्तित कर दी गई हैं। अब पुलिसकर्मी इसे पढ़ रहे हैं। नए कानून के तहत सात साल से ज्यादा सजा वाले मामलों में फॉरेंसिंक रिपोर्ट अनिवार्य होगी। इसके साथ ही अभी तक आरोपियों के हाथों में हथकड़ी लगाने का प्रावधान नहीं था। अब सात साल से ज्यादा सजा के मामले में पुलिस हथकड़ी का इस्तेमाल कर सकेगी।