– विधायक अतुल प्रधान ने कहा कार्रवाई तक जारी रहेगा आमरण अनशन
शारदा न्यूज, रिपोर्टर |
मेरठ। न्यूटिमा अस्पताल के साथ ही शहर में अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्था और मनमानी तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ सपा विधायक अतुल प्रधान का धरना दूसरे दिन भी जारी रहा। मंगलवार सुबह धरना स्थल पर हनुमान चालिसा का पाठ हुआ। इसके बाद संबोधन का दौर चला।
न्यूटिमा अस्पताल में भर्ती एक मरीज से बेहिसाब बिल वसूली को लेकर सपा विधायक अतुल प्रधान और अस्पताल प्रबंधन के बीच विवाद हो गया था। बाद में इस मामले में जहां अतुल प्रधान के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के साथ ही पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी, वहीं अस्पताल के पक्ष में आईएमए उतर आया। जिसके बाद विवाद ने तूल पकड़ लिया। यह मामला विधानसभा में उठा, तो अस्पताल प्रबंधन अपने अनियमित निर्माण के लिए कोर्ट चला गया।
इसी मामले को लेकर सोमवार से विधायक अतुल प्रधान ने समर्थकों के साथ आमरण अनशन शुरू कर दिया है। सोमवार को काफी हंगामें के बाद पुलिस प्रशासन ने धरने और अनशन की अनुमति दी। इसके बाद अतुल प्रधान रात में भी समर्थकों के साथ धरना स्थल पर ही रूके। सुबह समर्थकों के पहुंचने के बाद धरना स्थल पर हनुमान चालीसा का पाठ हुआ।
धरने को संबोधित करते हुए अतुल प्रधान ने कहा कि उनकी लड़ाई किसी एक अस्पताल नहीं बल्कि पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए है। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में ढंग का इलाज नहीं है। वहां भी कमीशन का खेल है, सरकारी डाक्टर खुद मरीजों को प्राइवेट नर्सिंग होम में ले जाने के लिए बोलते हैं। प्राइवेट नर्सिंग होम में जाते ही मरीज और उसके परिजनों का आर्थिक और मानसिक शोषण शुरू हो जाता है। जांच, कमरा, डाक्टर की विजीत, आईसीयू आदि तमाम के नाम पर मनमाने रूपये वसूले जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के साथ प्रशासन भी कहीं न कहीं लिप्त है और दबाव में है। उन्होंने कहा कि यह सब भाजपा नेताओं की सांठगांठ से चल रहा है। उन्होंने कहा कि उनका यह आंदोलन कार्रवाई होने तक जारी रहेगा।
अधिवक्ताओं ने की कार्रवाई की मांग
मंगलवार को युवा अधिवक्ता रामकुमार शर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी दीपक मीणा को पत्र सौंपा। जिसमें निजी अस्पतालों की जांच कराकर वहां जांच, मरीजों के बैड, कमरों, आईसीयू, एंबुलेंस आदि सभी के किराए मानक के अनुसार तय कराने और दवाओं के नाम पर होने वाली लूट के साथ ही चिकित्सकों के मनमाने शुल्क को कम कराने की मांग की गई।