शारदा रिपोर्टर मेरठ। मेरठ से मोदीपुरम, लखवाया, मोदीनगर, सरधना, हस्तिनापुर और कैली तक चल रही 27 बसों में रोजाना करीब 2500 यात्री सफर कर रहे हैं। इनसे कंपनी को रोजाना करीब एक लाख रुपये की आमदनी हो रही है, लेकिन खर्च दोगुने से भी ज्यादा हो रहा है।
शहरी जनता को यातायात का अलग अहसास कराने और पर्यावरण बचाने के लिए इलेक्ट्रिक बसें तो दे दी गईं, लेकिन इन बसों का किराया करीब 42 रूपए आता है। जबकि, 73 रूपए विभाग का खर्चा आ रहा है। नतीजतन, पिछले काफी समय से मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (एमसीटीएसएल) कंपनी का बसों पर जहां करीब 68 लाख रुपये खर्च हो चुका है। वहीं, कमाई आधी से भी कम करीब 30 लाख रुपये ही हुई है। कई रूटों पर तो भारी घाटा होने के बाद भी बसों को चलाना पड़ रहा है। बता दें कि, प्रदेश के बड़े शहरों का वायु और ध्वनि प्रदूषण कम करने और शहरवासियों को वातानुकूलित सफर कराने के लिए नगर विकास विभाग ने इलेक्ट्रिक बस सेवा मुहैया कराई है। इसमें मेरठ के लिए भी 50 इलेक्ट्रिक बस स्वीकृत की गई है, जिसमें 30 बसें मिल चुकी है।
24 जनवरी से शुरू हुई सेवा के संचालन पर नजर डाले तो चार महीने में इलेक्ट्रिक बसों ने करीब एक लाख किलोमीटर का सफर तय किया है। कंपनी का बिल 67.43 लाख रुपये का बन गया है जबकि 30 लाख रुपये की ही कमाई हुई है।