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जाम मुक्त शहर के वादे पर कैसे करें यकीन, बस अड्डो के लिए नहीं मिल रही जमीन

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  •  भैसाली, सोहराबगेट और मवाना बस अड्डा जाना है शहर से बाहर।
  •  परिवहन निगम के दो बस अड्डों को बाहर करने के लिए चाहिए दस एकड़ जमीन।

शारदा न्यूज, रिपोर्टर |

मेरठ। शहर में जाम की समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है। जिसके कारण प्रदूषण की समस्या भी बढ़ रही है। जाम से मुक्ति के तमाम सुझावों में एक बड़ा सुझाव बस अड्डों और ट्रांसपोर्टनगर को शहर से बाहर करने का है। लेकिन इनके लिए जमीन नहीं मिल रही है। अब शासन ने फिर से बस अड्डों को बाहर करने की योजना पर क्या काम हुआ? इसे लेकर जवाब मांगा है।

    भैसाली और सोहराब गेट बस अड्डा शहर के भीतर है। भैसाली बस अड्डे से दिल्ली- देहरादून, हरिद्वार जाने वाली बसों का संचालन होता है। जबकि सोहराबगेट डिपो से मुरादाबाद, बुलंदशहर, लखनऊ आदि जाने वाली बसों का संचालन होता है। भैसाली बस अड्डे को जहां शहर से बाहर करने का प्रस्ताव है, तो सोहराब गेट बस अड्डे को शहर से बाहर करते हुए पीपीपी मॉडल पर विकसित करने का प्रस्ताव है।

भैसाली बस अड्डे के लिए दस एकड़ जमीन चाहिए। जिसमें सात एकड़ जमीन बस अड्डा और तीन एकड़ जमीन वर्कशॉप व ई-चार्जिंग आदि के लिए चाहिए। लेकिन अभी तक भी जमीन नहीं मिल पाई है। इस संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर सिंह ने फिर से संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।

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