Friday, June 20, 2025
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राष्ट्रगीत के सम्मान में खड़े नहीं होने वाले सदस्यों की होगी जांच

– सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने उठाया मुद्दा, विधानसभा अध्यक्ष ने दिए जांच के आदेश


लखनऊ। राज्यपाल के अभिभाषण के बाद राष्ट्रगीत के दौरान विपक्ष के सदस्यों के अपने स्थान पर खड़े नहीं होने की जांच कराई जाएगी। विधानसभा में नियम 300 के तहत सपा सदस्य राकेश प्रताप सिंह ने यह मामला उठाया, जिसके बाद संसदीय कार्य मंत्री ने ऐसे सदस्यों को चिह्नित कर दंडित करने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस प्रकरण की जांच कराने का आश्वासन दिया है।

राकेश प्रताप सिंह ने बुधवार को सदन में जानकारी दी कि मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण के बाद सदन दोबारा 12:30 बजे शुरू हुआ। वह अंदर प्रवेश कर ही रहे थे कि राष्ट्रगीत के सम्मान में वहीं खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो संविधान को हाथ में लेकर घूमते रहते हैं, वह लॉबी में सोफे पर बैठे रहे। उन्होंने सीसीटीवी की जांच कराकर ऐसे सदस्यों को चिह्नित करने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने इसे दुखद बताते हुए कहा कि संविधान बनाने वालों ने राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान को मान्यता दी है।

यह हमारा नैतिक दायित्व भी है। राष्ट्रगीत के साथ व्यवहार उसके प्रति हमारे सम्मान को दशार्ता है। उन्होंने इस आचरण की निंदा करते हुए कहा कि एक दल तो संविधान का प्रदर्शन करता है। ऐसे लोगों को चिह्नित किया जाए और सजा दी जाए। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से ऐसी व्यवस्था देने को भी कहा, जिससे दोबारा ऐसा न हो। वहीं सपा सदस्य अतुल प्रधान ने सीसीटीवी की जांच कर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पक्षों के ऐसे नेताओं को चिह्नित करने की मांग की।

विधानसभा के सदस्य अब सदन में अवधी, ब्रज, भोजपुरी, बुंदेली और अंग्रेजी में अपनी बात रख सकेंगे। विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली 2023 के नियम 282 में संशोधन का प्रस्ताव भाजपा सदस्य श्रीकांत शर्मा ने सदन में रखा। उन्होंने ब्रज भाषा में अध्यक्ष से कहा कि तुमको लाड़ लगाने का मन कर रहा, ये काम सबसे अच्छे करो। मन अच्छा कर दे जो।

वहीं सपा सदस्य मनोज कुमार पांडेय ने अवधी और भाजपा सदस्य केतकी सिंह ने भोजपुरी में इस प्रस्ताव का समर्थन किया। हालांकि सदन को किसी ने भी बुंदेली भाषा में संबोधित नहीं किया। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि वह संशोधन के विरोध में नहीं हैं, लेकिन अंग्रेजी हमारी मातृभाषा, सांस्कृतिक भाषा और बोली नहीं है। इसकी जगह संस्कृत और उर्दू को जोड़ लीजिए।

हमने उर्दू के लिए बोला तो कठमुल्ला बोला गया। सीएम उर्दू से चिढ़ जाते हैं। इनका अपना एजेंडा है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में भी नेता प्रतिपक्ष ने इसका विरोध किया था। हम हिंदी के पक्षधर हैं। नई शिक्षा नीति में भी हिंदी को विशेष महत्व दिया गया है। नई सुविधा का विरोध नहीं होना चाहिए। हम पहले नियम फिर परंपरा से चलते हैं। परंपरा ही बाद में नियमों में तब्दील हो जाती है। हम अंग्रेजी थोप नहीं रहे, केवल सुविधा दे रहे हैं।

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