Saturday, July 12, 2025
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बिहार वोटर लिस्ट मामले पर सुनवाई करते हुए ये बोला सुप्रीम कोर्ट

  • साबित करें कि चुनाव आयोग का तरीका गलत।

नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। मतदाता सत्यापन के लिए जरूरी दस्तावेजों से आधार कार्ड को बाहर रखने पर चुनाव आयोग ने कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि आप मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में नागरिकता के मुद्दे को क्यों उठा रहे हैं? यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है। अगर आपको पुनरीक्षण के जरिये नागरिकता की जांच करनी थी तो आपको यह पहले करना चाहिए था। इसमें अब बहुत देर हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परेशानी पुनरीक्षण प्रक्रिया से नहीं है। बल्कि दिक्कत इसके लिए चुने गए समय से है।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि इस गहन प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं है ताकि गैर-नागरिक मतदाता सूची में न रहें, लेकिन यह इस चुनाव से पहले होना चाहिए। न्यायमूर्ति धूलिया ने कहा कि एक बार मतदाता सूची को अंतिम रूप दे दिया जाए और अधिसूचित कर दिया जाए और उसके बाद चुनाव हों तो कोई भी अदालत उसमें हाथ नहीं डालेगी।

जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि आप इस प्रक्रिया को नवंबर में होने वाले चुनाव से क्यों जोड़ रहे हैं? यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो पूरे देश के चुनाव से स्वतंत्र हो सकती है। इस पर चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि सुनवाई का अवसर दिए बिना किसी को भी मतदाता सूची से बाहर नहीं किया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से तीन मुद्दों पर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अदालत के समक्ष जो मुद्दा है वह लोकतंत्र की जड़ और मतदान के अधिकार से जुड़ा है।

याचिकाकर्ता न केवल चुनाव आयोग के मतदान कराने के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि इसकी प्रक्रिया और समय को भी चुनौती दे रहे हैं। इन तीन मुद्दों पर जवाब देने की जरूरत है।

विपक्ष ने सवाल उठाए: इंडिया गठबंधन की पार्टियों कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, सीपीएम, एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीआई, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने याचिका दायर कर वोटर लिस्ट सत्यापन पर सवाल उठाए हैं। इनका दावा है कि इस प्रक्रिया से गरीबों और महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं।

 

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