लोकसभा में रक्षा मंत्री बोले किसी के दबाव में हमला नहीं रुका।
नई दिल्ली। लोकसभा में आॅपरेशन सिंदूर पर चर्चा की शुरूआत हो गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने यह कार्रवाई इसलिए रोकी, क्योंकि जो भी टार्गेट तय किए गए थे, हमने उन्हें हासिल कर लिया था। यह मानना कि भारत ने किसी दबाव में कार्रवाई रोकी, यह सरासर गलत है। सभी को परीक्षा परिणाम पर ध्यान देना चाहिये न कि छात्र की मेहनत पर।
आॅपरेशन सिंदूर शुरू करने का उद्देश्य था उन टेरर नर्सरीज को खत्म करना, जिन्हें पाकिस्तान में वर्षों से पाला-पोसा गया था। हमारी सेनाओं ने केवल उनको टार्गेट किया, जो इन आतंकियों को सपोर्ट कर भारत को टार्गेट करने में लगातार इनवॉल्व थे। इस आॅपरेशन का उद्देश्य युद्ध छेड़ना नहीं था। 10 मई की सुबह जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की एयरफील्ड पर पर करारा प्रहार किया, तब पाकिस्तान ने हार मान ली। पाकिस्तान ने हमारे डीजीएमओ से बात की और कहा कि महाराज अब रोकिए। यह क्यों रोका, इसका पहले ही वर्णन कर चुका हूं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ये हमले एस्केलेटरी नेचर के नहीं थे। जिन्ह मोहिं मारा, तिन्ह मोहिं मारे। हालांकि पाकिस्तान ने सैन्य ठिकानों पर हमला कर दिया। हमने इन हमलों को विफल कर दिया. इस एस्केलेशन पर हमारा जवाबी हमला नपा तुला था। हमारी कार्रवाई पूरी तरह से सेल्फ डिफेंस में थी। पाकिस्तान की ओर से हमले 7 मई से 10 मई की रात 1 बजकर 30 मिनट तक मिसाइल और लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल किया। उनके निशाने पर हमारे सैन्य अड्डे थे। हमारा डिफेंस सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट ने पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम कर दिया और पाकिस्तान किसी भी टार्गेट को हिट नहीं कर पाया। हर हमले को रोका गया. भारतीय सेना ने दुश्मन के हर मंसूबे पर पानी फेर दिया। पाकिस्तान के हमले के जवाब में हमारी कार्रवाई साहसिक और ठोस थी। इस मिशन को हमारी सेनाओं ने सफलतापूर्वक अंजाम देने में कामयाबी पाई।
कभी नहीं पूछा युद्ध में कितना नुकसान हुआ
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा 1962 में चीन के साथ युद्ध में दुखद परिणाम आया, तब हमने पूछा कि हमारे देश की धरती पर दुश्मन का कब्जा कैसा हुआ। हमारी देश की जनता अपमानित क्यों हुई। हमने ये नहीं पूछा कि हमारी मशीनें और तोपों का क्या नुकसान हुआ।1972 में जब हमने पाकिस्तान को सबक सिखाया, तब भी हमने प्रशंसा की। हमारे उस समय के नेता अटल जी ने भी नेतृत्व की प्रशंसा की। उस समय हमारा क्यों नुकसान हुआ, हमने ये नहीं पूछा। हमारी सेनाओं ने जो लक्ष्य सेट किया था वो हमने हासिल किया. यही मायने रखता है।