– नई सड़क शास्त्रीनगर में निगम के नये भवन को लेकर छिड़ा विवाद, उच्च न्यायालय में लंबित है मालिकाना हक का विवाद।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। महापौर हरिकांत अहलूवालिया द्वारा नगर निगम के नये कांप्लैक्स में सेंट्रल मार्केट के पीड़ित व्यापारियों को दुकानें देने की घोषणा निगम के गले की फांस बन गई है। कोर्ट में इस कांप्लैक्स की जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रहे विवाद और भवन मानचित्र स्वीकृत न होने जैसे कई मामले सामने आने पर अब नगर निगम कटघरे में खड़ा हो गया है।
नगर निगम द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर विकास योजना के अंतर्गत पचास करोड़ रुपये की लागत से खसरा संख्या 6041 की जमीन पर कांप्लैक्स तैयार किया जा रहा है। जिसमें नगर निगम का नया दफ्तर, मीटिंग हॉल आदि तमाम भवन तैयार होगा, तो इसमें दुकानें भी तैयार की जा रही हैं।
लेकिन इस मामले में सबसे आश्चर्यजनक पहलू ये है कि निगम द्वारा भूमि पूजन से पहले ही इस जमीन को मालिकाना हक को लेकर कई वाद हाईकोर्ट में विचाराधी हैं। जिसमें हाईकोर्ट के आदेश पर एसडीएम कोर्ट से इस संबंध में रिपोर्ट भी मांगी गई है। लेकिन वहां से भी इसका निस्तारण नहीं हो पाया है।
इसके साथ ही नगर निगम जो भी साक्ष्य अब तक जमीन को लेकर दे पाया है, वह हाईकोर्ट में पर्याप्त नहीं है। एक भी मजबूत साक्ष्य नगर निगम ऐसा नहीं दे पाया है, जिसमें यह स्पष्ट हो कि इस जमीन का अधिग्रहण करते हुए नगर निगम अधिग्रहण धनराशि का भुगतान कर चुका हो।
यही कारण रहा कि नगर निगम के पास जमीन के मालिकाना हक का कोई साक्ष्य नहीं होने से वह इस भवन का मानचित्र भी आज तक स्वीकृत नहीं करा पाया। ऐसे में साफ है कि यदि हाईकोर्ट का निर्णय नगर निगम के विपरीत आ जाता है, तो सरकारी खजाने के पचास करोड़ रुपये जो इस भवन निर्माण में लगाए जा रहे हैं, उसकी भरपाई कौन और कैसे करेगा?
मल्टीलेवल पार्किंग भी हुई विवादित
नगर निगम द्वारा पुराने भवन को तोड़कर वहां मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण कराया जा रहा है। लेकिन वह नजूल संपत्ति है। जिसका मालिकाना हक राजस्व विभाग का है। इस भवन की भूमि का भी आज तक नगर निगम मालिकाना हक नहीं ले पाया है। अब ऐसे में निगम की मल्टीलेवल पार्किंग को लेकर की जा रही कवायद और उसमें लगाए जा रहे करोड़ों रुपये पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है।

