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पत्नी का पेट फाड़ने वाले को हुई आजीवन कारावास, पढ़िए क्या है पूरा मामला

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  • गर्भ में बेटा या बेटी जानने के लिए फाड दिया था पत्नी का पेट,
  • शिशु की भी गर्भ में हो गई थी मौत।

बंदायु। पांच बेटियों के जन्म के बाद एक बार फिर गर्भवती हुई पत्नी का पेट फाड़कर बेटा या बेटी जांचने वाले पति को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस घटना में आठ माह के गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई थी, जबकि महिला की जान बमुश्किल बचाई जा सकी थी।

शहर के मोहल्ला नेकपुर के रहने वाले पन्नालाल ने शादी के 22 साल बाद 19 सितंबर 2020 को यह वारदात अंजाम दी थी। पत्नी अनीता तब तक पांच बेटियों को जन्म दे चुकी थी। पन्नालाल ने कई बार बेटे की चाहत जाहिर की और उलाहना देते हुए कई बार अनीता को पीटा भी।

शहर से सटे घोंचा गांव के रहने वाले अनीता के भाई गोलू की ओर से दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, पन्नालाल को कई बार समझाया गया, मगर वह नहीं माना। अनीता जब छठी बार गर्भवती हुई तो धमकी दी कि अगर इस बार बेटी पैदा हुई तो वह दूसरी शादी कर लेगा।

यह पागलपन उसके दिमाग पर इस कदर हावी हो गया कि वर्ष 2020 में 19 सितंबर की शाम चार बजे पन्नालाल ने अनीता से कहा कि वह उसका पेट फाड़कर देखेगा कि गर्भ में बेटा है या बेटी। उसे रोकने की कोशिश की, मगर वह नहीं माना।

पन्नालाल ने हंसिये से अनीता का पेट चीर दिया। सूचना पर पहुंचे मायके वालों ने गंभीर हालत में अनीता को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से बरेली के लिए रेफर कर दिया गया। अनीता की तो जान बच गई, लेकिन गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।

पन्नालाल को जेल भेजे जाने के बाद आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल किया गया। महिला अपराध के विशेष न्यायाधीश (त्वरित) न्यायाधीश सौरभ सक्सेना ने बृहस्पतिवार को पन्नालाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कुछ समय पहले जमानत पर छूटा पन्नालाल बृहस्पतिवार को सजा सुनाए जाने के वक्त अदालत में ही था। वहां से उसे जेल भेज दिया गया।

कोर्ट की टिप्पणी- ऐसा लगता है कि अभियुक्त को कानून का भय नहीं

न्यायाधीश सौरभ सक्सेना ने कहा, उच्चतम न्यायालय से प्रतिपादित सिद्धांत को दृष्टिगत रखते हुए यह पाया गया कि अभियुक्त ने अत्यंत वीभत्स तरीके से पत्नी को जान से मारने की नीयत से उसके पेट व छाती पर हंसिये से प्रहार किया। इससे पीड़िता का पेट फट गया था। उसकी छोटी आंत भी बाहर आ गई। आठ महीने के शिशु का गर्भपात हो गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि अभियुक्त को कानून का भय नहीं है।

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