Friday, October 31, 2025
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पटेल जयंती पर दौड़ा पूरा देश – दिया एकता का संदेश

पटेल जयंती पर दौड़ा पूरा देश – दिया एकता का संदेश

आकाश कुमार

आकाश कुमार, मेरठ। भारत की एकता, अखंडता और समरसता के प्रतीक लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर सम्पूर्ण देश में “राष्ट्रीय एकता दिवस” बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया । इस अवसर पर देशभर में आयोजित हुआ “रन फॉर यूनिटी” एक ऐसी पहल जिसने हर नागरिक को एक सूत्र में बांध दिया, इस एकता की दौड़ में विशाल भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया कि आज भी भारत सरदार पटेल के आदर्शों पर गर्वपूर्वक अग्रसर है ।

सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम भारत की स्वतंत्रता और एकता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। स्वतंत्रता के बाद जब भारत रियासतों में बंटा हुआ था, तब सरदार पटेल ने अपनी राजनीतिक कुशलता, दृढ़ निश्चय और दूरदर्शिता से अपनी अलग सियासत चलाने वाले पाँच सौ से ज्यादा रियासतों को भारत संघ में सम्मिलित कर देश की अखंडता को सुनिश्चित किया । इसीलिए उन्हें “भारत का लौह पुरुष” कहा गया, उन्होंने देश को यह सिखाया कि “राष्ट्र की एकता” ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति है ।

 

 

उनकी जयंती पर मनाया जाने वाला राष्ट्रीय एकता दिवस केवल श्रद्धांजलि का अवसर नहीं, बल्कि यह एकता, भाईचारे, समरसता और राष्ट्रनिष्ठा का उत्सव है। इस अवसर पर देशभर में आयोजित “रन फॉर यूनिटी” ने हर भारतीय को यह संदेश दिया कि भारत की आत्मा उसकी विविधता में नहीं, बल्कि उसकी एकता में बसती है। यह दिन उस महान व्यक्तित्व की याद भी दिलाता है जिसने बिखरे हुए भारत को एक सूत्र में पिरोकर उसे राष्ट्र का स्वरूप प्रदान किया, क्योंकि स्वतंत्र भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभभाई पटेल की दृढ़ इच्छाशक्ति, अदम्य साहस और असाधारण नेतृत्व क्षमता से 562 रियासतों का विलय कर भारत को अखंडता की पहचान मिली ।
गुजरात के नाडियाड में जन्मे सरदार वल्लभभाई पटेल ने वकालत से लेकर राजनीति तक का सफर एक उद्देश्य के साथ तय किया, “भारत को एक सशक्त, अखंड और स्वतंत्र राष्ट्र बनाना” उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और किसानों के अधिकारों के लिए खेड़ा सत्याग्रह और बारडोली आंदोलन जैसे ऐतिहासिक अभियानों का संचालन किया । स्वतंत्रता के बाद जब भारत रियासतों में बंटा था, तब सरदार पटेल ने असंभव को संभव किया एवं तत्कालीन परिस्थितियों में राजाओं, नवाबों और दीवानों से संवाद और दृढ़ता दोनों का प्रयोग कर भारत का राजनीतिक एकीकरण किया। उनकी नीतिगत दृढ़ता ने ही हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू-कश्मीर जैसी रियासतों को भारत का अभिन्न अंग बनाया । इतिहासकार उन्हें “भारतीय एकता के शिल्पकार” कहते हैं और यह उपाधि उनके योगदान की सच्ची पहचान है।

भारत सरकार ने वर्ष 2014 में देश के नागरिकों में एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रति समर्पण की भावना का विकास करने के उद्देश्य से सरदार पटेल की जयंती को “राष्ट्रीय एकता दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की थी, तब से ही हर वर्ष इस दिन देशभर में एकता दौड़, प्रतिज्ञा समारोह, सांस्कृतिक आयोजन और एकता परेड आयोजित किए जाते हैं, स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी संस्थानों और सामाजिक संगठनों में एक ही स्वर “हम सब एक हैं, हमारा भारत महान है” गूंजता है ।

राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य आकर्षण बन चुका “रन फॉर यूनिटी” कार्यक्रम, आज एक राष्ट्रीय जनांदोलन का स्वरूप ले चुका है । देश के हर कोने में लाखों नागरिक इसमें भाग लेकर यह संदेश देते हैं कि भारत की शक्ति उसकी एकजुटता में है। इस बार भी दिल्ली से कन्याकुमारी, कश्मीर से कच्छ तक हर जगह “रन फॉर यूनिटी” का आयोजन हुआ। राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट से विजय चौक तक हजारों लोग एक साथ दौड़े, सभी राज्य सरकारों ने इसे जनभागीदारी अभियान के रूप में आयोजित किया, पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों ने मार्च पास्ट निकालकर एकता का प्रदर्शन किया। देशभर में सोशल मीडिया पर #RunForUnity और #RashtriyaEktaDiwas जैसे हैशटैग ट्रेंड में रहे । सभी ने संदेश दिया कि “एकता की दौड़ में हम सब साथ हैं और यह दौड़ केवल खेल नहीं, बल्कि एकता का प्रतीकात्मक संदेश है कि हम सभी भारतीय हैं, और हमारा लक्ष्य एक सशक्त, अखंड, समरस राष्ट्र है ।

इस वर्ष की “रन फॉर यूनिटी” में महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही, महिला शिक्षिकाएँ, छात्राएँ, महिला पुलिसकर्मी और सामाजिक संगठनों की कार्यकर्ता सभी ने देश की एकता और सुरक्षा की शपथ ली । यह दृश्य इस बात का प्रतीक था कि भारत की एकता में महिलाओं की भूमिका भी पुरुषों के बराबर ही महत्वपूर्ण है और महिलाएँ न केवल सामाजिक स्थिरता का आधार हैं, बल्कि राष्ट्र की नैतिक शक्ति भी हैं।

आज का भारत एक नई दिशा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, डिजिटल क्रांति, आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है, लेकिन इस प्रगति की बुनियाद तभी मजबूत रहेगी जब देश के नागरिकों के बीच सामाजिक और भावनात्मक एकता बनी रहे। सरदार पटेल ने जिस राजनीतिक एकता की स्थापना की, आज हमें उसी भावना के अनुरूप सामाजिक एकता, धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक सामंजस्य को ओर अधिक मजूबत बनाने की आवश्यकता है ।

सरदार पटेल का मानना था कि भारत विश्व की सबसे युवा आबादी वाला देश है, और यदि युवा सही दिशा में प्रयत्न करें तो युवाओं में वह शक्ति है जो देश को ऊँचाइयों तक ले जा सकती है। “रन फॉर यूनिटी” इसी युवा शक्ति का प्रदर्शन है। यह आयोजन युवाओं को प्रेरित करता है कि वे न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहें, बल्कि देशभक्ति, अनुशासन और सहयोग की भावना भी विकसित करें और समाज में पनप रहे विभाजनकारी विचारों एवं विविधताओं के बीच एकता का पुल बनकर उभरें ।

नोट: संपादकीय पेज पर प्रकाशित किसी भी लेख से संपादक का सहमत होना आवश्यक नही है ये लेखक के अपने विचार है।

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