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लाखों के खर्च के बाद भी गौ वंश मर रहे, हस्तिनापुर के मालीपुर गौशाला की हालत बदतर

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लाखों के खर्च के बाद भी गौ वंश मर रहे, हस्तिनापुर के मालीपुर गौशाला की हालत बदतर

  • लाखों के खर्च के बाद भी गौ वंश मर रहे।

  • हस्तिनापुर के मालीपुर गौशाला की हालत बदतर।


शारदा न्यूज संवाददाता |

मेरठ। प्रदेश सरकार गौ वंश की रक्षा के लिए करोड़ों रुपए के बजट आवंटित कर चुकी है इसके बाद भी स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही के कारण गौ शालाओं की हालत बद से बदतर हो गए है। इस कारण गौ वंश या तो मर रहे है या मरणासन्न हालत में है।

 

मालीपुर स्थित गोशाला में देखी जा सकती है। गोशाला में हर महीने लाखों रुपये भूसे, चूनी-चोकर व कर्मचारियों पर खर्च किया जाता है, मगर गोवंश भूख और उपचार के अभाव में दम तोड रहे है और देखने वाला कोई नहीं। जिम्मेदार अधिकारी मरे गोवंश को दुर्घटनाग्रस्त बता अपना पल्ला झाड लेते है। गोशालाओं की देखरेख के नाम पर सिर्फ कागजी पत्र दौड़ाए जाते हैं। जबकि धरातल पर गोवंश भूख से दम तोड़ रहे हैं। हस्तिनापुर ब्लाक स्थित मालीपुर गोशाला की बात करें तो वर्तमान अभिलेखों में यहां 639 गोवंश संरक्षित किये गए हैं। इनके संरक्षण के लिए कर्मचारी तैनात हैं। प्रतिवर्ष लाखों रुपये भूसे पर व चूनी- चोकर पर खर्च किया जा रहा है। इलाज के लिए पशु चिकित्सक की भी तैनाती है। मानकों के अनुसार उन्हें प्रतिदिन गोशाला में जाकर जांच करनी होती हैं। मगर इस गोशाला में कभी भी चिकित्सक दिखाई नहीं देते हैं। जिसके चलते प्रतिदिन गोवंश भुख और उपचार के अभाव में दम तोड देता है। गौशाला के आईसीयू वार्ड मे 1-2 नहीं आठ गायमृत पड़ी थी।
आखिर क्यो कहां गायब हो गई सौ से भी अधिक गाये।

प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री गौसेवा योजना शुरू की है। योजना के तहत ब्लाक में मालीपुर में गौशालाओं का निर्माण किया जा चुका है। प्रदेश सरकार प्रति गाय 30 रुपए खर्च कर रही है। शायद उस बजट का सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। उससे भी बड़ी बात यह है कि निगरानी के लिए बोर्ड बना दिया गया है लेकिन गौ शालाओं की निगरानी ईमानदारी से नहीं हो रही है और गोवश काल के गाल में समा रही हैं।

 

क्या कहते हैं अधिकारी

 

खंड विकास अधिकारी अश्वनी कुमार का कहना है कि जो गाय आईसीयू में है उन्हें विश्व हिंदू परिषद वह अन्य समाजसेवी संस्थाओं द्वारा दुर्घटना ग्रस्त होने के बाद गौशाला में छोड़ा गया है इसलिए उनकी हालत गंभीर है।

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