Sunday, October 12, 2025
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आत्मा में रमण करना ही उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

  • शांतिधारा करने का सौभाग्य भूषण जैन नितिन जैन शाश्वत जैन नवीन जैन कमल जैन विनोद जैन कपिल जैन को मिला।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। दिगंबर जैन समाज के पर्युषण महापर्व के अंतिम दिन शनिवार को असौड़ा हाउस दिगंबर जैन मंदिर में श्रद्धालुओं ने श्रद्धा व भक्ति पूर्वक उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की आराधना की।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने प्रात:भगवान का अभिषेक व नित्य नियम पूजा की। अनंत चतुर्दशी पर मंदिर में विराजमान भगवान आदिनाथ भगवान शांतिनाथ भगवान मुनिसुब्रतनाथ भगवान पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा का अभिषेक किया गया।

 

इस दौरान शांतिधारा करने का सौभाग्य भूषण जैन नितिन जैन शाश्वत जैन नवीन जैन कमल जैन विनोद जैन कपिल जैन को मिला। अंनत चतुर्दशी को बारहवें तीर्थं कर भगवान वासुपूज्य का मोक्ष कल्याणक निर्वाण लाडू चढ़ाकर मनाया गया। जिसमें 12 किलो का निर्वाण लाडू समर्पित करने का सौभाग्य रमेश चंद जैन दयांचल परिवार को प्राप्त हुआ।

शास्त्री जी ने कहा कि आत्मा से अच्छा संसार में कुछ नहीं है। इधर -उधर की बातें छोड़ते हुए अपनी आत्मा में लीन रहते हुए अपना स्वयं का कल्याण करना चाहिए। आत्मा अजर है अमर है अविनाशी है। आत्मा और शरीर घी और छाछ के समान है यदि आपके हाथ में घी है और छाछ है और आप गिर रहे हैं तो सबसे पहले घी को बचाएंगे छाछ छूट भी जाए तो चलेगा। इसी प्रकार जन्म तो कई होते हैं लेकिन अपनी आत्मा को कभी खराब नहीं करना चाहिए आत्मा में लीन रहते हुए अपने जन्म को सार्थक बनाना चाहिए।

श्याम सांस्कृतिक कार्यक्रम में पंडित सिद्धांत शास्त्री द्वारा बच्चों की एक नाटिका प्रस्तुत कराई गई पूजा का फल कराई गई जिसमें सभी बच्चों को पुरस्कृत किया गया अंत में सभी श्रद्धालुओं ने आरती एवं जिनवाणी स्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन किया।

मंदिर परिसर में विनोद जैन, कपिल जैन, रमेश जैन, संजय जैन, मनोज जैन, अमित जैन, राज पीयूष, शोभाजन, पूनम जैन, सारिका जैन कविता जैन, शशि जैन, सुरभि जैन, रचित जैन आदि उपस्थित रहे।

 

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