– विकुल चपराना और सत्यम रस्तोगी मामले में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने कराया समझौता।
अनुज मित्तल, मेरठ। तेजगढ़ी चौराहा पर नाक रगड़वाने वाले मामले में दोनों पक्षों के बीच समझौते के बाद जातिगत वोटों की राजनीति में फंसे इस मामले का पटाक्षेप हो गया। लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि इस समझौते का लाभ किसे मिला है। ऐसे में साफ है कि समझौते के बाद भाजपा नेतृत्व जरूर राहत की सांस ले रहा है, लेकिन राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर को क्या राहत मिली है, यह भविष्य बताएगा।
नाक रगड़वाने के मामले में वैश्य समाज के विरोध को देखते हुए भाजपा के शीर्ष नेता सक्रिय हुए थे। इसके बाद विकुल चपराना पर धाराएं बढ़ाने के साथ ही पुलिस ने उसके तीन साथियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा और बाद में विकुल चपराना को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले को लेकर गुर्जर समाज ने भारी नाराजगी जताई थी। गुर्जर समाज के लोगों ने न केवल काजीपुर में पंचायत की, बल्कि भाजपा के खिलाफ जमकर भड़ास भी निकाली थी। जिसके कारण यह मामला जातीय रंग पकड़ गया और भाजपा के लिए खतरे की घंटी बन गया।
कई दिन की मशक्कत के बाद भाजपाइयों ने इसका हल निकाला। भाजपाइयों ने पहले सत्यम रस्तोगी और उसके परिवार के लोगों से बात की। उन्हें समझाने के बाद गुर्जर नेताआें की मौजूदगी में गुरूवार को सत्यम रस्तोगी की तरफ से रंगदारी न मांगे जाने की बात कहते हुए समझौते का एक शपथ पत्र तैयार कराकर एसएसपी को सौंप दिया गया। जिसके बाद साफ है कि जांच में अब विकुल के खिलाफ रंगदारी जैसे संगीन धाराएं हट जाएंगी।
इस पूरे मामले में भाजपा के सामने दक्षिण विधानसभा सीट सहित हस्तिनापुर और किठौर सीट पर गुर्जर वोटों की नाराजगी का संकट मंडरा गया था। जिसके चलते भाजपा नेताओं ने समझौते का आधार तय कराया। इस समझौते के बाद भाजपा नेताओं ने जरूर राहत की सांस ली होगी।
लेकिन यहां पर राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर के भविष्य को लेकर अभी भी अटकलें लगाई जा रही हैं। क्योंकि घटना के बाद से अब तक वह सत्यम रस्तोगी या उनके परिवार से नहीं मिले हैं। इसके साथ ही पहले दिन जो उनका बयान आया था, वह भी विकुल चपराना को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहा था। इसके अलावा पूर्व में हुए अन्य कई मामलों को लेकर भी शहर के व्यापारियों और वैश्य समाज के लोगों में राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर को लेकर नाराजगी है। अब यह नाराजगी चुनाव तक दूर हो जाएगी या बनी रहेगी? यह तो भविष्य ही बताएगा। लेकिन भाजपा के ही सूत्रों की मानें तो भाजपा तो अब राहत में है, लेकिन चुनाव के दौरान यह मामला ही नहीं पिछले तमाम मामले राज्यमंत्री के खिलाफ मुद्दा बनेंगे।



 
