Monday, October 13, 2025
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सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लगाई फटकार

  • चीन सीमा विवाद पर कहा- सच्चे भारतीय हैं तो ऐसी बातें नहीं कहेंगे।
  • कैसे पता लगा चीन ने जमीन कब्जाई।

एजेंसी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2022 को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद भारतीय सेना पर कथित टिप्पणी को लेकर लोकसभा नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसी बातें नहीं कहेंगे। कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा कि उन्हें कैसे पता चला कि 2000 किलोमीटर जमीन चीनियों ने कब्जा कर ली है।आप विपक्ष के नेता हैं, संसद में अपनी बात कहें, सोशल मीडिया पर नहीं। सेना पर टिप्पणी मामले में समन के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस भी जारी किया।

राहुल गांधी की याचिका पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति आॅगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने उनके खिलाफ लखनऊ की कोर्ट में चल रही आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर अंतरिम रोक तो लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा कि उन्होंने अपने बयान का आधार क्या बनाया? उन्होंने 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा था, चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय जवानों को पीट रहे हैं। इस बयान को लेकर पूर्व बॉर्डर रोड्स आॅर्गनाइजेशन निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव की ओर से अधिवक्ता विवेक तिवारी ने लखनऊ की अदालत में मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था।
राहुल गांधी के खिलाफ लखनऊ कोर्ट में समन जारी होने के खिलाफ दाखिल याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि भारतीय सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले बयान पर वह व्यक्ति भी पीड़ित हो सकता है जिसे सेना के प्रति व्यक्तिगत श्रद्धा हो।
अभिषेक मनु सिंघवी ने दी दलील

राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह मामला एक तीसरे पक्ष द्वारा दर्ज किया गया है और केवल बयान के आधार पर मानहानि नहीं बनती। उन्होंने कहा कि इस तरह से किसी को परेशान नहीं किया जा सकता।

इन दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ कोर्ट में चल रही मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगा दी और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। अब यह मामला तीन हफ्तों बाद सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुना जाएगा।

कोर्ट की टिप्पणी यह साफ कर गई कि संवेदनशील मुद्दों पर नेताओं को जिम्मेदारी से बोलना होगा और संसद जैसे मंच का इस्तेमाल करना चाहिए, न कि सोशल मीडिया का।

 

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