Sunita Williams:अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 9 महीने तक फंसी रहने के बाद, सुनीता विलियम्स मुस्कुराहट के साथ धरती पर वापस आ गई हैं। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स समेत चार अंतरिक्ष यात्री 286 दिनों के लंबे मिशन के बाद वापस लौट आईं हैं।
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स नौ महीने तक अंतरिक्ष में रहने के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आई हैं। उनकी वापसी की पहली तस्वीरें सामने आई हैं। स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए उन्हें फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित उतारा गया।
सुनीता विलियम्स के साथ बुच विलमोर, निक हैग और अलेक्जेंडर गोर्बुनोव भी इस मिशन का हिस्सा थे। पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। नासा ने इस मिशन की सफलता पर खुशी जाहिर की और स्पेसएक्स व एलन मस्क के योगदान की सराहना की।
हाथ हिलाकर किया सभी का अभिवादन
स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से जब सुनीता विलियम्स बाहर आईं तो उन्होंने हाथ हिलाकर सभी का अभिवादन किया। इस दौरान वो काफी ज्यादा खुश नजर आ रही थीं। सुनीता विलियम्स नौ महीने (286 दिन) तक अंतरिक्ष में थीं। वापसी में देरी कई तकनीकी कारणों और सुरक्षा चिंताओं के कारण हुई थी. सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को अब डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है, ताकि उनकी सेहत का पूरा ध्यान रखा जा सके।
डॉल्फिन्स ने किया सुनीता विलियम्स का स्वागत
सुनीता विलियम्स नौ महीने के लंबे अंतरिक्ष मिशन के बाद वापस लौट आईं हैं। स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए उन्हें फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित उतारा गया। लेकिन, उनकी वापसी के दौरान जो दृश्य सामने आया, वह बेहद अनोखा और खास था।
जब ड्रैगन कैप्सूल समुद्र में लैंड हुआ तो डॉल्फिन्स ने चारों ओर चक्कर लगाते हुए उनका स्वागत किया। यह एक दुर्लभ और जादुई क्षण था, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो प्रकृति भी इस ऐतिहासिक वापसी का जश्न मना रही हो।
करना पड़ सकता है कई चुनौतियों का सामना
अंतरिक्ष में महीनों बिताने के बाद जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटते हैं, तो उन्हें कई शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। गुरुत्वाकर्षण में अचानक वापसी उनके शरीर पर गहरा प्रभाव डालती है।
हो सकती हैं ये दिक्कतें
शरीर का संतुलन बनाए रखना मुश्किल : अंतरिक्ष में लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहने से शरीर का बैलेंस बिगड़ जाता है, जिससे खड़े होना और चलना मुश्किल हो जाता है।
मांसपेशियों और हड्डियों की कमजोरी: गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, जिससे चलने-फिरने में दिक्कत होती है।
रक्त संचार और ब्लड प्रेशर की समस्या: माइक्रोग्रैविटी के कारण रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है, जिससे ब्लड प्रेशर कम हो सकता है और चक्कर आ सकते हैं।
बेबी फीट सिंड्रोम: अंतरिक्ष में महीनों रहने के बाद पैरों की त्वचा सख्त नहीं रह पाती, जिससे पृथ्वी पर लौटने पर पैरों में दर्द और जलन हो सकती है।
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