– भाजपा सरकार ने एक बार फिर चुनावी साल में बढ़ाए हैं गन्ने के दाम – पश्चिमी यूपी की गन्ना बेल्ट में सरकार का यह कदम बनेगा बड़ा मुद्दा
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। भाजपा किसान हितैषी होने का दम भरती है। लेकिन किसान उसकी कथनी और करनी के अंतर को बताते हुए खुश नहीं है। इस बार भी उम्मीद से कहीं कम रेट सरकार ने बढ़ाए हैं, जिससे किसानों की नाराजगी अब बढ़नी तय है।
भाजपा की उत्तर प्रदेश में 2017 से सरकार है। लेकिन तब से लेकर अब तक सिर्फ 2019 में ही लोकसभा चुनाव के दौरान 20 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई थी। इसके बाद से अब तक गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। लगातार किसान गन्ना का रेट बढ़ाने की मांग करते रहे, लेकिन सरकार चुप्पी साधे बैठे रही। अब फिर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 20 रुपये बढ़ाए गए हैं।
ग्राम दुर्वेशपुर के प्रतिष्ठित किसान राहुल मावी का कहना है कि लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है। फसल उत्पादन पर आने वाली लागत ही इस मूल्य से पूरी हो पाती है। क्योंकि किसान खुद मेहनत करता है तो वह बचत के रूप में अपनी मजदूरी निकाल लेता है। यदि किसान मजदूरी पर खेती कराए तो फिर उसे कुछ नहीं मिलने वाला है।
रालोद नेता डा. राजकुमार सांगवान का कहना है कि चुनावी माहौल में गन्ना रेट बढ़ाकर भाजपा ने किसानों को साधने का प्रयास किया है, लेकिन किसान इस बार आसानी से मानने वाला नहीं है। डा. सांगवान के अनुसार यदि सरकार गन्ना रेट 400 या उससे ऊपर देती तो उसे फायदा मिल सकता था। क्योंकि किसान अब 450 रुपये प्रति कुंतल के रेट से कम पर मानने को तैयार नहीं है।
चुनाव में बनाएंगे मुद्दा
सरधना विधायक अतुल प्रधान का कहना है कि भाजपा सरकार को व्यापारी सबसे ज्यादा समर्थन देता है, लेकिन वह जब व्यापारियों की ही नहीं हुई तो किसानों की क्या होगी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना मुद्दा भाजपा का रस निकाल देगा।