मेरठ। समाजवादी पार्टी की बुधवार को लखनऊ में हुई बैठक के बाद विपक्षी ही नहीं बल्कि सपा के साथ गठबंधन में जुड़ी पार्टियों की नजर भी सपा पर टिक गई है। क्योंकि सपा ने इस बैठक में 65 सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार की है। इसके बाद गठबंधन के दूसरे दलों में हड़कंप मचा है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटे हैं। इनमें वर्तमान में भाजपा के पास 63 और उसके गठबंधन में शामिल अपना दल के पास दो सीटें है। भाजपा गठबंधन के पास कुल 65 सीटें है। वहीं गठबंधन की अगर बात करें तो वर्तमान में जो गठबंधन है उसके अनुसार यूपी में सपा, कांग्रेस और रालोद के बीच प्रमुख गठबंधन है। इसमें चार सीट सपा और मात्र एक सीट कांग्रेस के पास है। जबकि रालोद के पास एक भी सीट नहीं है। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और रालोद के साथ गठबंधन में रही बसपा के पास दस सीटें है। ऐसे में यूपी के अंदर बसपा दूसरे नंबर की पार्टी है।
बात अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में ताकत की करें तो भाजपा जहां 63 सीटें जीती है तो 15 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है। भाजपा यूपी में 78 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। गठबंधन की बात करें तो बसपा जहां 27 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही तो सपा 32 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। जबकि कांग्रेस और रालोद तीन-तीन सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी।
ये आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि गठबंधन से अलग यदि सपा, कांग्रेस और रालोद को देखें तो यह गठबंधन 38 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहा था। जबकि अकेले बसपा 27 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी।
ऐसे में अब आईएनडीआईए गठबंधन को लेकर सवाल खड़ा हो रहा है। क्योंकि भाजपा तो अपने गठबंधन में तटस्थ है। लेकिन सपा जिस तरह सभी 80 सीटों पर तैयारी की बात करते हुए 65 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करते हुए दबाव बनाने में जुट गई है। उससे आईएनडीआईए गठबंधन की राह यूपी में कमजोर होती नजर आ रही हैं।
रालोद कर रहा 12 सीटों पर दावा
रालोद गठबंधन में रहते हुए इस बार लोकसभा की 12 सीटों पर दावा कर रहा है। इनमें बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, बिजनौर, नगीना, मथुरा, बुलंदशहर, अमरोहा, फतेहपुर सीकरी, हाथरस और अलीगढ़ के साथ मेरठ सीट पर शामिल है। रालोद सूत्रों की मानें तो आठ से कम सीटों पर रालोद की बात नहीं बनेगी। पश्चिमी क्षेत्र की अधिकांश सीटों पर जिस तरह रालोद मजबूत दावा पेश कर रही है, तो सपा के साथ गठबंधन निभता नजर नहीं आ रहा है।
कांग्रेस का साथ देना मुश्किल
कांग्रेस कभी यूपी में एक तरफा राज करती थी। यह बात अलग है कि आज हालात पूरी तरह विपरीत हो गए हैं। लेकिन अपने खोए हुए वजूद को प्राप्त करने के लिए कांग्रेस यूपी में पूरा जोर लगा रही है। ऐसे में कांग्रेस भी कम से कम 30 सीटों पर अपना दावा जरूर करना चाहेगी। यदि कांग्रेस अडिग रहती है तो यह गठबंधन चलता नजर नहीं आता है।
बसपा अब नहीं आना चाहेगी साथ
सपा की एक तरफ सीटों को लेकर चल रही तैयारी के बीच वर्तमान में यूपी के भीतर लोकसभा में दूसरे नंबर की स्थिति रखने वाली बसपा किसी भी हालत में 40 सीटों से कम पर नहीं मानेगी। जिस कारण यह लगभग तय है कि बसपा अब किसी भी गठबंधन से बाहर रहकर ही चुनाव लड़ेगी।
सीटों का बराबर बंटवारा हुआ तो ही चलेगा गठबंधन
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सभी विपक्षी दलों का मकसद भाजपा को सत्ता से बाहर करना है। लेकिन इस शर्त पर कोई भी दल बिल्कुल भी तैयार नहीं होगा कि वह अपना अस्तित्व ही समाप्त कर ले। ऐसे में आईएनडीआईए गठबंधन फिलहाल तो आपस में ही उलझता नजर आ रहा है।