Friday, June 27, 2025
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धमाकेदार बैटिंग का लुत्फ उठा रही स्मृति मंधाना, दस से ज्यादा शतक लगाने वाली चौथी बल्लेबाज बनी


ज्ञान प्रकाश संपादक | भारतीय महिला क्रिकेट टीम की मजबूत धुरी स्मृति मंधाना का बल्ला थमने का नाम नहीं ले रहा है। आस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में शानदार 105 रन बनाने के बाद स्मृति लगातार स्कोर करती आ रही है। भारतीय टीम के लिये स्मृति एक मजबूत स्तंभ बन चुकी हैं और इनके बिना टीम की कल्पना करना फिलहाल संभव नहीं है।

 

 

आयरलैंड के खिलाफ राजकोट में तीसरे वनडे में स्मृति मंधाना के वनडे करियर का ये 10वां शतक है। इसके साथ ही भारतीय सलामी बल्लेबाज वनडे क्रिकेट के इतिहास में 10 शतक लगाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं। यही नहीं, वह महिला वनडे क्रिकेट के इतिहास में 10 या उससे ज्यादा शतक लगाने वाली दुनिया की चौथी खिलाड़ी बन गई हैं। मंधाना 80 गेंदों पर 135 रन बनाकर पवेलियन लौटी। इस तूफानी शतकीय पारी में उन्होंने 7 गगनचुंबी छक्के और 12 चौके जड़े। इस तरह उन्होंने वनडे क्रिकेट में भारत की ओर से सबसे ज्यादा छक्के जड़ने के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली।

अब मंधाना और हरमनप्रीत के बराबर 52-52 छक्के हो गए हैं। इस पारी के दौरान मंधाना ने महिला वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में आॅस्ट्रेलिया की आॅलराउंडर एलिस पैरी को भी पीछे छोड़ दिया। मंधाना के नाम अब 97 वनडे मैचों में 4195 रन हो गए हैं जबकि पैरी ने 4185 रन बनाए हैं। इससे पहले वेस्टइंडीज के खिलाफ स्मृति मंधाना ने तीन मैचों में 193 रन बनाए थे।,इसमें बड़ौदरा में 91 रन और 53 रन बनाए थे। नवी मुंबई में मंधाना ने टी20 मैच में 54,62 और 77 रन बनाए थे। स्मृति ने इन मैचों में छक्कों की बौछार लगा दी थी।

मंधाना का जन्म 18 जुलाई 1996 को मुंबई में स्मिता और श्रीनिवास मंधाना के घर एक मारवाड़ी हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता एक रसायन वितरक के रूप में काम करते थे, जबकि उनकी मां एक गृहिणी थीं। जब वह दो साल की थीं, तो उनका परिवार महाराष्ट्र के सांगली के उपनगर माधवनगर चला गया, जहां उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।

उन्होंने सांगली में चिंतामन राव कॉलेज आॅफ कॉमर्स में पढ़ाई की। मंधाना के पिता सांगली के लिए जिला स्तर पर क्रिकेट खेलते थे, उनके भाई श्रवण भी, जो अब एक बैंक मैनेजर हैं। अपने भाई को महाराष्ट्र राज्य अंडर-16 टूनार्मेंट में प्रतिस्पर्धा करते हुए देखकर मंधाना को इस खेल को अपनाने की प्रेरणा मिली। नौ साल की उम्र में, उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम के लिए चुना गया था, और ग्यारह साल की उम्र में, उन्हें महाराष्ट्र अंडर-19 टीम के लिए चुना गया था।

 

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