शारदा रिपोर्टर मेरठ। परतापुर थानाक्षेत्र के खिलाफ बुधवार को दर्जनों शिव सैनिकों ने कमिश्नरी चौराहे पर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन डीएम कार्यालय पर सौंपते हुए कार्रवाई की मांग की।
ज्ञापन सौंप रहे कार्यकतार्ओं ने बताया कि दलित बेटी के शारीरिक शोषण पर हमारा संविधान सर्वोच्व नायालय व सरकार तुरंत न्याय के लिए कहते हैं। लेकिन मेरठ में कुछ थाने स्वयं को संविधान सर्वोच्च न्यायालय व सरकार बडा समझकर दलित बेटी के शारीरिक शोषण पर न्याय न देकर दलित बेटी को फटकार कर थाने से भगा देते है। ऐसा ही एक प्रकरण मेरठ के थाना परतापुर का है।
उन्होंने बताया कि ग्राम अच्छरोन्डा की दलित बेटी जिसके मां बाप मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते है। उस दलित बेटी को जब वह नाबालिग थी, तभी ग्राम बहादरपुर के एक युवक ने उसे बहला-फुसलाकर दोस्ती करके शादी का झांसा देते हुए शारीरिक संबंध बना लिए। आरोप है कि, लगातार 5-6 वर्षों तक उस दलित बेटी का शारीरिक शोषण करने के बाद जब युवक की नौकरी लग गयी तो युवक ने युवती से शादी नहीं की और उसे डराकर धमका कर भगा दिया।
दलित युवती ने थाना परतापुर में शिकायत की तो पुलिस द्वारा उसका संज्ञान नहीं लिया। इसके बाद पीड़िता ने एसएसपी से शिकायत की, जिस पर एसएसपी ने तीन जनवरी को कार्रवाई के लिए लिखा था।
लेकिन परतापुर थानाध्यक्ष ने कार्रवाई से साफ इंकार करते हुए युवती को थाने से भगा दिया। इससे दलित समुदाय सहित अन्य जन सम्प्रदाय में भी आकोश व्याप्त है।
प्रदर्शन कर रहे शिव सैनिकों ने मांग करते हुए कहा कि अगर दलित युवती की थाने में रिपोर्ट दर्ज कराकर न्याय नहीं मिला तो शिवसेना दलित समुदाय को लेकर जन आन्दोलन के लिए बाध्य है।