– सभी राजनीतिक दलों के नेता सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हुए सक्रिय – विपक्षी पार्टियों और नेताओं को बनाया जा रहा सीधे-सीधे निशाना
अनुज मित्तल (समाचार संपादक)
मेरठ। लोकसभा चुनाव की धरातल पर तैयारी के बीच एक दूसरे को उकसाने और खामियां बताने में नेता तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म को मुख्य जरिया बनाकर एक दूसरे पर निशाना साधा जा रहा है।
समाचार पत्रों और टीवी चैनल से ज्यादा लोग सोशल मीडिया प्लेट फार्म में रूचि दिखा रहे हैं। क्योंकि यहां पर अलग ही चुनावी माहौल बना हुआ है। यहां पर सबसे ज्यादा राजनीतिक हथियार उपयोग हो रहे हैं।
रविवार को जहां बसपा अध्यक्ष मायावती ने एक के बाद एक ट्विट कर सपा पर निशाना साधा। तो सोमवार को शिवपाल यादव के ट्विट ने भाजपा और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को निशाने पर ले लिया। शिवपाल यादव ने केशव प्रसाद पर सीधी टिप्पणी करते हुए एक्स पर लिखा कि स्वयं के संगठन और सरकार में आपकी चलती नहीं, इसलिए इधर उधर नजर बहुत पैनी रखते हैं। बाहर होने के डर से दिल-दल बदलने का तो इरादा नहीं है। दरअसल शिवपाल यादव ने यह पोस्ट केशव प्रसाद मौर्य की पोस्ट पर पलटवार में लिखी है।
वहीं अखिलेश यादव भी आजकर एक्स पर बहुत सक्रिय नजर आ रहे हैं। हर छोटी-बड़ी घटना पर उनकी प्रतिक्रिया रोजाना ही एक्स पर नजर आती है। इस बार उन्होंने अयोध्या की टेंट सिटी को लेकर तंज कसा है। उन्होंने बनारस में बनी टेंट सिटी की बीजेपी सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि बनारस में बनी टेंट सिटी को याद करें। इस बार टेंट सिटी किसी अच्छे ठेकेदारों से बनवाइयेगा और यूपी के हों तो और भी अच्छा होगा, नहीं तो जवाब देने से पहले ही फरार हो जाएंगे। ताजमहल के पास की यमुना को भी स्वच्छ करवा लीजिएगा।
ये तो नेताओं की पोस्ट सिर्फ बानगी भर है। लगातार प्रधानमंत्री मोदी से लेकर जिला स्तरीय नेता तक इस समय सोशल मीडिया पर अपने पक्ष और विपक्ष की कमियों को उजागर करने और तंज कसने में लगे हुए हैं।
एक्सपर्ट कर रहे एकाउंट हैंडल
अधिकांश बड़े नेताओं ने अपने एक्स एकाउंट को हैंडल करने के लिए एक्सपर्ट हॉयर किए हुए हैं। पूरी सोशल मीडिया आईटी टीम सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने तैयार की हुई है। जो लगातार विपक्षी नेताओं की पोस्ट पर ध्यान रखती है और फिर उसके पलटवार में जवाब देती है।
बदल गया है चुनावी माहौल तैयार करने का तरीका
सोशल मीडिया की सक्रियता ने अब नेताओं के चुनावी माहौल बनाने के तरीके को भी बदल दिया है। हाल ये है कि मीडिया को बयान जारी करने के बजाए नेता सोशल मीडिया पर बयान दे देते हैं और उसके बाद मीडिया पर अपने आप उनकी पोस्ट को लेकर बहस शुरू हो जाती है और माहौल बनने-बिगड़ने का काम शुरू हो जाता है।