Home उत्तर प्रदेश Meerut फाइनेंसर बनकर फंस गए शारदा एक्सपोर्टर के मालिक

फाइनेंसर बनकर फंस गए शारदा एक्सपोर्टर के मालिक

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– एचपीपीएल के लोटस-300 प्रोजेक्ट को दिया था जितेंद्र गुप्ता ने 200 करोड़ से ज्यादा का लोन
– ऋण देने संबंधी अभिलेखों में सीए ने जितेंद्र गुप्ता के दोनों बेटों को बना दिया था कंपनी में निदेशक


शारदा रिपोर्टर मेरठ। नोएडा में हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लोटस-300 प्रोजेक्ट के निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले की जांच शुरू हो गई है।

नोएडा में लग्जरी फ्लैट बनाने वाली कंपनी द्वारा निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार सुबह तक चार शहरों में छापा मारा। कंपनी के निदेशकों का शारदा एक्सपोर्ट के नाम से भी देश-विदेश में बड़ा कारोबार है। दिल्ली, मेरठ, चंडीगढ़ और गोवा के एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर छापे के दौरान कंपनी द्वारा कई अन्य प्रोजेक्ट में निवेश करने के साक्ष्य मिले हैं।

मेरठ में साकेत स्थित आवास, रिठानी में आॅफिस और गगोल रोड की फैक्टरी पर सुबह साढ़े सात बजे टीम पहुंची। ईडी ने सभी ठिकानों से तमाम संदिग्ध दस्तावेज, बैंक खातों से जुड़ी जानकारी, कंप्यूटर की हार्ड डिस्क, मोबाइल आदि कब्जे में ले लिए। छापे की कार्रवाई बुधवार सुबह तक चली।

ऐसे फंसे जितेंद्र गुप्ता और उनके बेटे

जितेंद्र गुप्ता के बेटे आदित्य गुप्ता और आशीष गुप्ता की क्लाउड नाइन के नाम से रियलइस्टेट कंपनी है। जिसका आॅफिस नोएडा में भी है। यहां पर काम करने के दौरान एक व्यक्ति की मध्यस्थता से आशीष और आदित्य गुप्ता ने हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लोटस-300 प्रोजेक्ट के लिए दो सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का ऋण अपने पिता जितेंद्र गुप्ता से उपलब्ध कराया। यह पूरा लेनदेन वैध तरीके से हुआ। इस दौरान गारंटी के तौर पर प्रोजेक्ट संचालकों के कहने पर अभिलेख तैयार करने वाले सीए ने दोनों भाईयों को इस प्रोजेक्ट में निदेशक बना दिया।

ऋण देने के बाद आदित्य और आशीष अपने देश-विदेश के अन्य कारोबार में व्यस्त हो गए। वहीं प्रोजेक्ट निर्माण करने वाली कंपनी ने खेल कर दिया। इन लोगों ने जहां नोएडा प्राधिकरण के जमीन के बकाया 52 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया, वहीं निवेशकों से छह सौ करोड़ रुपये से ज्यादा ले लिया। प्राधिकरण ने अपने पैसे की ब्याज सहित वसूली के लिए नोटिस जारी किया और उसके बाद कानूनी कार्रवाई की। जिसमें आशीष और आदित्य भी फंस गए। इस मामले में आशीष को जेल भी जाना पड़ा।

जैसे ही इस पूरे मामले का पता चला तो निवेशकों में भी हड़कंप मच गया। उन्होंने भी इस प्रोजेक्ट से अपने पैसे वापस लेने या फ्लैट उपलब्ध करोन का दबाव बनाना शुरू कर दिया। मामला चर्चित होने पर आदित्य के साथ ही जमानत पर बाहर आया आशीष भी फरार हो गया। जिसके चलते निवेशक इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए।

कोर्ट ने माना था घोर अनियमितताएं हुईं

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2024 में माना था कि कंपनी के प्रमोटरों ने घोर अनियमितताएं की हैं। न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) ने कंपनी की अनियमितताओं पर आंखें बंद रखीं और पट्टा रद्द नहीं किया। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को इस अनियमितता में शामिल कंपनी के निदेशकों और प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिए थे। उन कंपनियों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश था, जिनमें क्लाउड नाइन का पैसा लगाया गया। कोर्ट ने पाया कि क्लाउड नाइन के निदेशकों और प्रमोटरों का इरादा नोएडा के साथ-साथ घर खरीदने वालों को धोखा देने का था।

आशीष गुप्ता और उनके परिवार के पास क्लाउड नाइन में 70% शेयर सीधे या कंपनियों के माध्यम से थे। कोर्ट ने कहा कि वह परियोजना में सक्रिय रूप से शामिल थे। धन इकट्ठा कर रहे थे और उसे अन्य कंपनियों को हस्तांतरित कर रहे थे। इस्तीफा देकर निदेशक खुद को बचाने की कोशिश की।

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