Home Development 12 करोड़ रुपये से बदलेगी संजय वन की सूरत

12 करोड़ रुपये से बदलेगी संजय वन की सूरत

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– गगोल स्थित शहीद स्मारक और न्यू टाउनशिप को  भी मिली मंजूरी


शारदा रिपोर्टर,मेरठ– दिल्ली रोड पर बने संजय वन की सूरत अब बदल जाएगी। संजय वन को संवारने के लिए 8 करोड़ रुपए मेरठ विकास प्राधिकरण ने स्वीकृत कर दिए हैं। इसके अलावा वेदव्यासपुरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेस में मेरठ मंडपम के लिए 12 करोड़, गगोल में शहीद स्मारक को 3 करोड़ और न्यू टाउनशिप के लिए 75 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए गए हैं। ये चारों प्रस्ताव ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर ने दिए थे।

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उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर पिछले काफी समय से गगोल तीर्थ पर शहीद संग्रहालय एवं संजय वन के जीर्णोद्धार की मांग उठा रहे थे। इसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर प्रस्ताव दिया था। मंगलवार को मेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा गगोल तीर्थ पर शहीद संग्रहालय के निर्माण के लिए 3 करोड़ और वेदव्यासपुरी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेस में मेरठ मंडपम के लिए 12 करोड़ और न्यू टाउनशिप के लिए 75 लाख रुपए स्वीकृत कर दिए।

सोमेंद्र तोमर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कैबिनेट मंत्री एके शर्मा और मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक पांडे का आभार जताते हुए कहा कि इन प्रोजेक्ट पर काम होने से लोगों को बड़ा लाभ मिलेगा।

12 एकड़ में फैला है संजय वन

दिल्ली रोड पर शॉपरिक्श मॉल चौराहे के पास 12 एकड़ में फैले संजय वन को 1982 में चेतना केंद्र के रूप में बसाया गया था। यहां पर 70 से अधिक प्रजाति के पक्षी हैं। पेड़-पौधों की सैकड़ों प्रजातियां हैं। जानवरों की बात करें तो यहां पर नीलगाय का बड़ा झुंड है। खरगोश, लोमड़ी एवं अजगर जैसे जीवों की बड़ी शृंखला है। नक्षत्र वाटिका बनाई गई है। पार्क में झूला लगा है।

8 करोड़ से ये होंगे कार्य

संजय वन में पहले से बने एक वॉकिंग ट्रैक के अलावा एक नया वॉकिंग ट्रैक बनेगा। इसके अलावा साइकिल ट्रैक, प्राकृतिक पगडंडी, कैफेटेरिया, दो पार्क का सौंद्रयीकरण किया जाएगा। इसके अलावा एक तालाब बनेगा जिसमें बोटिंग की व्यवस्था होगी। वॉच टावर को भी आधुनिक तरीके से तैयार किया जाएगा। दिल्ली रोड और रैपिड रेल स्टेशन के नजदीक होने के कारण यहां लोगों को इसका बड़ा लाभ मिलेगा।

लगभग 65 फीट ऊंचा वॉच टावर कारगिल शहीद मनोज तलवार को समर्पित है। यहां पर 1992 तक मिनी चिड़ियाघर भी था। उसमें सैकड़ों प्रकार के पक्षी, हिरन, खरगोश, लोमड़ी और यहां तक की एक विशालकाय मगरमच्छ भी था। सन 1992 में सरकार ने चिड़ियाघर बंद किया तो उसके बाद रेवेन्यू मिलना बंद हो गया। जिसके बाद संजय वन की हालत खराब हो गई।

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