एजेंसी, नई दिल्ली। केरल (यूडीएफ) के सांसदों ने आशा कार्यकतार्ओं के समर्थन में संसद में विरोध प्रदर्शन किया, उनका मानदेय बढ़ाकर 21,000 रुपये करने और उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ के रूप में 5 लाख रुपये मिलने की मांग की। लोकसभा में भाषा और शिक्षा नीति के मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस देखने को मिली।
वहीं, सरकार की तरफ से भाषा के मुद्दे पर निशिकांत दुबे ने डीएमके को घेरा। डीएमके सांसद कनिमोझी और अन्य डीएमके सांसदों ने तीन-भाषा मुद्दे पर संसद में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी के खिलाफ संसद में विरोध प्रदर्शन किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025 पेश करेंगे, जिसमें विदेशियों के लिए पासपोर्ट, वीजा और पंजीकरण आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका ने ओडिशा में महिला सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा के लिए लोकसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किया है। इसके अलावा लोकसभा सीटों के परिसीमन, मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों और वोटर टर्न आउट के मुद्दे पर भी बहस हुई।
प्रश्नकाल के दौरान डीएमके सांसद टी सुमति ने एक पूरक प्रश्न पूछते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि चूंकि तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने राज्य में नई शिक्षा नीति लागू नहीं की है इसलिए केंद्र सरकार ने पीएम श्री विद्यालय स्कीम के तहत राज्य को मिलने वाली 2000 करोड़ रुपए की रकम दूसरे राज्यों को दे दी है।
इसका जवाब देते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि डीएमके सरकार छात्रों के साथ अन्याय कर रही है और भाषा के नाम पर समाज में विभेद पैदा करना चाहती है। प्रधान ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पहले राज्य में पीएम श्री योजना लागू करने पर सहमति जताई थी लेकिन बाद में मुकर गए। प्रधान ने कहा कि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे कई गैर बीजेपी राज्य नई शिक्षा नीति और पीएम श्री योजना को लागू कर रहे हैं तो फिर तमिलनाडु को क्या परेशानी है।
धर्मेंद्र प्रधान के जवाब पर मचा हंगामा
धर्मेन्द्र प्रधान के जवाब के बाद डीएमके सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया जिसके बाद सदन की कार्यवाही थोड़ी देर किए स्थगित करनी पड़ी। बाद में डीएमके सांसद कनिमोझी ने गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए प्रधान के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे दिया।