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मुकदमों की जानकारी छिपाने पर मांगी रिपोर्ट

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  • सपा विधायक रफीक अंसारी मामले में एसपी सिटी कार्यालय पहुंचे भाजपाई।

शारदा रिपोर्टर

मेरठ। गैर जमानती वारंट के मामले में जेल गए सपा विधायक रफीक अंसारी द्वारा विधानसभा चुनाव में मुकदमों की जानकारी छिपाने के मामले में एसपी सिटी ने सीओ सिविल लाइन से रिपोर्ट मांग ली है। भाजपा नेताओं ने मंगलवार शाम को इस मामले में एसपी सिटी को शिकायत की। उन्होंने कहा कि शपथ पत्र में चुनाव आयोग को गलत जानकारी देकर अपराध किया गया है।

भाजपा के महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज और लोकसभा संयोजक कमल दत्त शर्मा व महानगर मीडिया प्रभारी अमित शर्मा ने मंगलवार शाम को एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह से मुलाकात की।

भाजपा नेताओं ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में रफीक अंसारी ने जो शपथ पत्र दिया गया उसमें सिर्फ एक ही मुकदमे का उल्लेख किया गया, जबकि रफीक अंसारी पर कई मुकदमे दर्ज होने की जानकारी सामने आ गई है। वे नौचंदी थाने के हिस्ट्रीशीटर भी रहे हैं। इन मुकदमों की जानकारी शपथ पत्र में छिपाकर चुनाव आयोग को गुमराह करने के साथ कानून का उल्लंघन किया गया है। भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए शिकायती पत्र पर एसपी सिटी ने सीओ सिविल लाइन से एक सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

ये है मामला: 1992 में हापुड़ रोड पर मीट की दुकानों को लेकर अंसारी और कुरैशी बिरादरी के लोगों में मारपीट हो गई थी। 40 लोगों को आरोपी बनाया गया था। विवेचना में पुलिस ने मौजूद पार्षद रफीक अंसारी और हाजी बुंदू को भी आरोपी बना दिया था। रफीक अंसारी के कोर्ट में पेश नहीं होने पर 1997 को उनके गैर जमानती वारंट जारी हो गए थे।

बढ़ सकती हैं रफीक अंसारी की मुश्किलें

मेरठ। अगर विधायक रफीक अंसारी द्वारा विधानसभा चुनाव में दिए गए शपथ पत्र में आपराधिक मुकदमों की जानकारी गलत दिए जाने की बात साबित होती है तो विधायक रफीक अंसारी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल बख्शी का कहना है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत यह अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें अंतर्गत दो साल की सजा का प्रावधान है। इसके आधार पर हाईकोर्ट में चुनावी याचिका दायर करके चुनाव को रद कराया जा सकता है। झूठा शपथ पत्र दिए जाने की बात स्पष्ट होने पर चुनाव अधिकारी-डीएम 195 सीआरपीसी के तहत मुकदमा दर्ज करा सकते हैं। शपथ पत्र झूठा पाए जाने पर कई जन प्रतिनिधियों के पद जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में साफ आदेश दे चुकी है कि हर उम्मीदवार को 24 घंटे के भीतर आपराधिक इतिहास सोशल मीडिया पर डालना पड़ेगा। रफीक की जमानत अर्जी अभी नहीं लगाई गई है। वहीं, परिजनों ने रफीक से मुलाकात की।

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