Home Meerut सम्पूर्ण परिग्रह का त्याग ही उत्तम आकिंचन धर्म है: पंडित सिद्धांत शास्त्री

सम्पूर्ण परिग्रह का त्याग ही उत्तम आकिंचन धर्म है: पंडित सिद्धांत शास्त्री

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शारदा रिपोर्टर मेरठ। शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर असौड़ा हाउस में मंदिर जी में अभिषेक एवं शांति धारा जिसमें मुख्य शांतिधारा स्वर्ण झारी से करने का सौभाग्य अमर जैन परिवार को प्राप्त हुआ एवं रजत झारी से शांति धारा करने का सौभाग्य नवीन जैन अमित जैन परिवार को मिला। उसके पश्चात पंडित सिद्धांत जैन शास्त्री ने पूजा एवं 10 लक्षण विधान कराया जिसमें सभी भक्तजन ने अर्घ मांडले पर समर्पित किये।

इसके उपरांत साय 6:30 मंदिर जी सांस्कृतिक कार्यक्रम आभा जैन जी द्वारा बहुत ही सुंदर एक नाटिका प्रस्तुति की गई अंत में सभी श्रद्धालुओं ने आरती एवं जिनवाणी स्तुति के साथ कार्यक्रम का समापन किया। दिगंबर जैन मंदिर कचहरी रोड पर सोनिया जैन ने कहा कि अकिंचन उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी तो सब कुछ छूट जाता है साथ ही आन्तरिक संकल्प विकल्प भी शांत हो जाते हैं।

सोनिया ने कहा कि सम्पूर्ण परिग्रह का त्याग करना ही उत्तम आकिंचन धर्म है। स्वयं से विरक्त होना उत्तम आकिंचन धर्म है। अपनी आत्मा में रमण करना, ध्यान साधना में मन को लगाना आकिंचन धर्म है। मन को विकल्पों को रोकना, असक्ति को हटाना, बाहरी भोगों से विरक्त होना उत्तम आकिंचन धर्म है। धर्म साधना से धर्म आराधना से जपे जीवन का मूल्य जानना और उत्तम आकिंचन धर्म के गुणों को अपने जीवन में ग्रहण करो और अपना आत्म कल्याण करो। आकिंचन्य धर्मधारी आत्मानन्द रूपी रस में लीन हुआ बाह्य जगत के सांसारिक वातावरण से एकदम पृथक रहता है। ऐसे जीव के पास कुछ न होकर भी सब कुछ होता है। वह परम सुख को प्राप्त करता है। इसलिए उत्तम आत्मकिंचन धर्म चित्त को निर्मल और उदार बनाता है। देह के प्रति राग छुड़ाता है। सांसारिक सुखों से विरक्ति दिलाता है एवं यथालब्ध में खुश रखता है। आकिंचन हमारीी आत्मा की शक्ति को बढ़ाता है।

शाम महावीर अर्चना एवं आरती के पश्चात पर्यावरण के ऊपर एक बच्चों का फैंसी ड्रेस कंपटीशन हुआ जिसमें सभी बच्चों को प्रस्तुत किया गया मंदिर परिसर में सोनिया जैन, राजीव, संजय कंचन, अंजू जैन, प्रशांत प्रणव आदि उपस्थित रहे।

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