- जगह-जगह जलभराव के कारण जनजीवन हुआ अस्तव्यस्त।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। इस बार मानसून की रफ्तार ने गर्मी और उमस से जूझ रहे मेरठ वासियों को राहत दी है। जुलाई माह के शुरूआती 10 दिनों में बारिश ने पिछले वर्षों के आंकड़े पीछे छोड़ दिए हैं।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की मौसम वेधशाला प्रभारी अशोक गुप्ता के अनुसार, गुरुवार सुबह 8:30 बजे तक 40 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जिससे माह की कुल बारिश 90.7 मिमी हो चुकी है। यह बीते 10 वर्ष में दूसरी सबसे ज्यादा दर्ज की गई जुलाई की शुरूआती बारिश है। वर्ष 2023 में इसी अवधि में 151 मिमी बारिश हुई थी, जबकि 2024 में सिर्फ 56.3 मिमी। विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई 2025 की बारिश पिछले कई वर्ष का रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है और सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना बनी हुई है।
गुरुवार को सुबह से ही रिमझिम फुहारों ने मौसम को खुशनुमा बना दिया। तेज गर्मी और उमस से जूझ रहे शहरवासियों को इससे खासी राहत मिली है। भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एम. समीम के अनुसार, इस वर्षा से किसानों को भी बड़ा लाभ होगा। धान की बुवाई शुरू हो चुकी है, और लगातार बारिश धान, गन्ना और चारे की फसलों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध हो रही है।
वहीं दूसरी ओर बुधवार सुबह और रात में हुई मूसलाधार बारिश ने मेरठ को जलमग्न कर दिया। सुबह और शाम की बारिश से मुख्य मार्ग, बाजार और कॉलोनियां तालाब में तब्दील हो गईं। जलभराव से सड़कें गायब हो गईं, आवागमन ठप हुआ, बिजली और पेयजल आपूर्ति बाधित रही। गंगानगर,
शास्त्रीनगर, सदर बाजार और खैरनगर में तीन-चार घंटे तक बिजली गुल रही। सड़कों पर गड्ढों में पानी भरने से ई-रिक्शा पलट गए और दोपहिया वाहन बंद हो गए, जिससे कई लोग घायल हुए।
बारिश के कारण सड़कों पर गड्ढों में पानी भर गया। भगवतपुरा और ब्रह्मपुरी में नगर निगम की ल् ाापरवाही से नालों का पानी घरों में घुस गया। कांवड़ यात्रा के बीच मोदीपुरम से बेगमपुल और दिल्ली मार्ग पर आरआरटीएस का सड़क निर्माण कार्य प्रभावित हुआ।
रुड़की रोड पर छठी वाहिनी पीएसी और दिल्ली चुंगी के पास मंगलवार रात बनी सड़क उधड़ गई। दिल्ली रोड से मोदीपुरम तक सड़कों में असंख्य गड्ढों में पानी भरने से वाहन फंस गए। रोहटा रोड, बागपत रोड और शहर की अन्य सड़कों पर भी जलभराव रहा।
हस्तिनापुर में बाढ़ का खतरा मंडराया
हस्तिनापुर मेरठ मे गंगा नदी का जलस्तर हस्तिनापुर में 66,000 क्यूसेक तक पहुंच गया है। जिससे खादर क्षेत्र समेत तटीय गांवों में बाढ़ का खतरा गहराने लगा है। पिछले 24 घंटों में अगर जलस्तर में बढ़ोतरी हुई तो बाढ़ का खतरा हो सकता है। और मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार आने वाले दिनों में यह स्थिति और गंभीर हो सकती है। मौसम विभाग और जल आयोग के अनुसार ऊपरी क्षेत्रों विशेषकर बिजनौर बैराज और उत्तराखंड से छोड़े गए पानी के कारण गंगा का प्रवाह तेज हो गया है। अगर यही रफ्तार बनी रही, तो जलस्तर अगले 24 से 48 घंटों में 80,000 से 90,000 क्यूसेक तक पहुंच सकता है। इससे बाढ़ आने की संभावना बनी हुई है।