Home उत्तर प्रदेश Meerut राणा हो या रितुराज किसके सिर सजाएंगे वजीर का ताज

राणा हो या रितुराज किसके सिर सजाएंगे वजीर का ताज

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  • भाजपा महानगर और जिला इकाई के गठन को लेकर छिडी जंग।

शारदा न्यूज़। भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी को लेकर नए जिला और महानगर अध्यक्ष घोषित कर दिए हैं। लेकिन अब नये अध्यक्षों के सामने अपने संगठन को खडा करना बडी चुनौती होगा। क्योंकि उपाध्यक्ष से लेकर सदस्य तक हर जाति और धर्म को ध्यान में रखते हुए संगठन तैयार करना होगा। ऐसे में संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही जनप्रतिनिधियों का दबाव भी अपने चहेतों को पद दिलाने के लिए रहेगा।

सुखद पहलू ये है कि नवनियुक्त महानगर और जिलाध्यक्ष दोनों ही दूसरी बार दायित्व को संभाल रहे हैं। ऐसे में संगठन की बारीकियों से बखूबी परिचित हैं।

सुरेश जैन रितुराज दूसरी बार महानगर अध्यक्ष पद की कमान संभाल रहे हैं। ऐसे में वह बखूबी जानते हैं कि संगठन को कैसे तैयार करना है। लेकिन इस बार परिस्थति पहले जैसी अनुकूल नहीं है। क्योंकि केंद्र और प्रदेश में सरकार होने के चलते भाजपाइयों का अनुशासन जहां पहले जैसा नजर नहीं आता है, वहीं गुटबाजी भी बढी है। पार्टी में अब कई गुट सक्रिय हो गए हैं। जिसके कारण रितुराज को सभी को अपने साथ लेकर चलना बडी चुनौती होगा।

  महानगर की अगर बात करें तो रितुराज जैन होने के कारण अल्पसंख्यक वर्ग के साथ ही वैश्य समाज का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। बावजूद इसके संगठन में उन्हें वैश्य को भी जहां समाहित करना होगा, वहीं पंजाबी और पिछडा वर्ग के साथ अनुसूचित जाति को साधना होगा। महानगर में तीन विधानसभा के हिसाब से तीन महामंत्री होने चाहिए, लेकिन एक अनुसूचित जाति का महामंत्री और जोडा गया है। जिस कारण महानगर में चार महामंत्री बनाए जाएंगे। ऐसे में इसमें सभी प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व देना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

बात अगर जिला इकाई की करें तो जिले में भी चार विधानसभा आती हैं, ऐसे में यहां भी चार महामंत्री बनाए जाएंगे। तो ऐसे में जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा के सामने भी सभी बिरादरियों को साधना चुनौती होगा। क्योंकि वह स्वयं ठाकुर हैं तो देहात को देखते हुए गुर्जर, जाट, त्यागी ब्राहमण और वैश्य के साथ ही अनुसूचित जाति को वह कैसे साथ लेकर चलते हैं, इस पर सभी की नजर टिकी हुई हैं।

    हालांकि भाजपा संगठन में महामंत्री से अलग पदों की बात करें तो आठ उपाध्यक्ष और आठ मंत्री, एक कोषाध्यक्ष भी मनोनीत किए जाएंगे। इन पदों पर भी दूसरी बिरादरियों को समाहित किया जा सकता है। जिसे लेकर हर कोई अपने-अपने आकाओं के माध्यम से पद पाने की जुगत में लगा है।

नवरात्र में घोषित होगी महानगर और जिला इकाई

नये अध्यक्षों की घोषणा तो हो चुकी है, लेकिन पूरी कार्यकारिणी गठन की घोषणा नवरात्र में होगी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि कार्यकारिणी में सभी को तवज्जो देना आसान नहीं है। इसके लिए लगातार मंथन चल रहा है। चूंकि अब श्राद्व शुरू होने वाले हैं तो नवरात्र में ही नई कार्यकारिणी की घोषणा की जाएगी।

 

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  1. यह सत्य है कि नए जिला और महानगर अध्यक्षों को अपने संगठन को विविधता के साथ तैयार करने के लिए चुनौती आएगी। संगठन में सभी जातियों और धर्मों को शामिल करना जरूरी है, ताकि समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो सके। इसमें नेताओं के साथ जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी महत्वपूर्ण होगा।

    रितुराज जैन जैसे अध्यक्षों को अपने संगठन की बारीकियों के बारे में अच्छा ज्ञान है, जो एक बड़ी सहायकता हो सकता है। उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों को समाहित करने के लिए उपाय ढूंढने में मदद मिल सकती है।

    इस समय की राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर संगठन को मजबूत करने के लिए नेताओं के बीच में सामंजस्य और साहस की आवश्यकता होगी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो, नई जिम्मेदारियों को सफलता पाने के लिए संगठन को एकजुट रखना होगा।

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