Saturday, June 28, 2025
Homeदेशधर्ममय तभी बनेंगे जब स्वयं ही सेवामय बन जाए : प्रधानमंत्री मोदी

धर्ममय तभी बनेंगे जब स्वयं ही सेवामय बन जाए : प्रधानमंत्री मोदी

  • आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह शुरु।

एजेंसी, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में पीएम मोदी को जैन समुदाय की ओर से धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने संबोधित किया। हमें विकास और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ना है।

पीएम ने कहा कि आज हम सब भारत की अध्यात्म परंपरा के एक महत्वपूर्ण अवसर के साक्षी बन रहे हैं। पूज्य आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज, उनकी जन्म शताब्दी का ये पून्य पर्व उनकी अमर प्रेरणाओं से ओत-प्रोत यह कार्यक्रम एक अभूतपूर्व प्रेरक वातावरण का निर्माण हम सबको प्रेरित कर रहा है।
पीएम ने कहा आज इस अवसर पर आपने मुझे धर्म चक्रवर्ती की उपाधि देने का जो निर्णय लिया है, मैं खुद को इसके योग्य नहीं समझता हूं। लेकिन हमारा संस्कार है कि हमें सतों से जो कुछ मिलता है उसे प्रसाद समझकर स्वीकार किया जाता है। इसलिए मैं आपके इस प्रसाद को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करता हूं और मैं भारती के चरणों में अर्पित करता हूं।

प्रधानमंत्री ने कहा आचार्य विद्यानंद जी महाराज कहते थे कि जीवन तभी धर्ममय हो सकता है, जब जीवन स्वयं ही सेवामय बन जाए. उनका ये विचार जैन दर्शन की मूल भावना से जुड़ा हुआ है, ये विचार भारत की चेतना से जुड़ा हुआ है। भारत सेवा प्रधान देश है, मानवता प्रधान देश है।
उन्होंने कहा कि दुनिया में जब हजारों वर्षों तक हिंसा को हिंसा से शांत करने के प्रयास हो रहे थे। तब भारत ने दुनिया को अहिंसा की शक्ति का बोध कराया। हमने मानवता की सेवा की भावना को सर्वोपरि रखा। सब साथ चलें, हम मिलकर आगे बढ़ें यही हमारा संकल्प है।

पीएम ने कहा कि प्राकृत भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। ये भगवान महावीर के उपदेशों की भाषा है, लेकिन अपनी संस्कृति की उपेक्षा करने वालों के कारण ये भाषा सामान्य प्रयोग से बाहर होने लगी थी।

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Recent Comments