हाथी की मस्त चाल, कहीं भाजपा तो कहीं सपा का बिगाड़ेगी हाल

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– सोशल इंजीनियरिंग के तहत हर सीट पर बसपा घोषित कर रही प्रत्याशी


अनुज मित्तल (समाचार संपादक)

मेरठ। बहुजन समाज पार्टी ने यूपी में अभी ज्यादा सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। लेकिन जहां भी घोषित किए हैं, वहीं पर भाजपा या सपा खेल बिगाड़ते नजर आ रहे हैं। बसपा एक बार फिर से 2007 की तर्ज पर यूपी में चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी है।

बसपा और भाजपा ही इस समय यूपी में ऐसी पार्टियां हैं, जिनका बड़ा मूल वोट बैंक है। बात अगर सपा की करें तो वह मुस्लिमों पर भरोसा करती है, लेकिन यह बात भी तय है कि भाजपा को जिस किसी भी दल का प्रत्याशी हराता हुआ नजर आएगा, मुस्लिम इस बार वहीं वोट करेगा।

बसपा के मूल वोट बैंक की अगर बात करें तो लगभग प्रत्येक सीट पर दलित निर्णायक स्थिति में है। बिजनौर सीट पर मुस्लिमों के बाद अगर कोई सबसे बड़ा वोट बैंक है, तो वह दलित वोट बैंक है। जो कि आज भी बसपा का ही माना जाता है। बिजनौर सीट पर बसपा ने बिजेंद्र सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। बिजनौर सीट पर जाट भी निर्णायक स्थिति में है। हालांकि भाजपा की तरफ से यह सीट रालोद के दिए जाने के बाद जाट वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी निश्चित रूप से रालोद करेगा। ऐसे में जाट वोटों के गणित में दलित वोट जोड़ने के बाद बसपा इस सीट पर फिलहाल बेहतर स्थिति में नजर आ रही है। ऐसे में यदि मुस्लिम वोट सपा से टूटकर बसपा के पक्ष में चला जाता है, तो सपा से ज्यादा झटका भाजपा-रालोद को लग सकता है।

मुजफ्फरनगर सीट पर बसपा ने दारा प्रजापति को चुनाव मैदान में उतारा है, जो इस वक्त प्रजापति समाज के बड़े नेता हैं। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर प्रजापति समाज के साथ ही अति पिछड़ों की वोट बड़ी संख्या में है। माना जा रहा है कि प्रजापति समाज के साथ ही सैनी, पाल, कश्यप आदि वोट में दारा प्रजापति सेंधमारी करेंगे। जबकि सपा ने हरेंद्र मलिक और भाजपा ने संजीव बालियान को मैदान में उतारा है। ऐसे में जाट वोटों में दोनों के बीच बंटवारा होना माना जा रहा है। हालांकि रालोद के साथ आने के बाद जाट वोट भाजपा के पक्ष में ज्यादा पड़ना भी लगभग तय है। लेकिन यहां मुस्लिमों का रूझान अभी तक अस्पष्ट है। जो सपा के लिए मुसीबत बन सकता है।

बसपा बागपत पर गुर्जर और मेरठ सीट पर त्यागी को लड़ाने पर विचार कर रही है। यह दोनों ही प्रत्याशी कहीं न कहीं भाजपा और रालोद के लिए मुसीबत बनेंगे। क्योंकि यदि मेरठ सीट पर त्यागी अपनी बिरादरी को वोट कर जाता है, तो भाजपा को लगभग तीस हजार वोटों का नुकसान होगा। ऐसे ही बागपत सीट पर भी गुर्जर प्रत्याशी नुकसान पहुंचाने की स्थिति में रहेगा।

कुल मिलाकर बसपा की सोशल इंजीनियरिंग कहीं पर चुनाव जीतने वाली तो कहीं पर सपा और भाजपा में से किसी एक का खेल बिगाड़ने वाली नजर आ रही है। जिससे सपा और भाजपा दोनों ही दलों में मंथन चल रहा है। यही कारण है कि मेरठ सीट पर भाजपा ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।

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