– वोटर चेतना अभियान के जरिए घर-घर जाकर बनाए जाएंगे वोट।
– निगम चुनाव में बड़ी संख्या में मतदाता वोटर लिस्ट से थे गायब।
मेरठ। लोकसभा चुनाव में भाजपा किसी भी मोर्चे पर ढील नहीं रखना चाहती है। यही कारण है कि इस बार मतदाता सूची को लेकर भाजपा ज्यादा गंभीर है। क्योंकि नगर निगम चुनाव में भले ही भाजपा की बेहतर जीत हुई हो, लेकिन उसकी जीत का अंतर बहुत ज्यादा हो सकता था, यदि मतदाता सूची से बड़ी संख्या में मतदाता गायब न हुए होते।
नगर निगम चुनाव में मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी सामने आई थी। शहर की कई हिंदु बहुल कालोनी मतदाता सूची से लगभग पूरी तरह गायब थी। इतना ही नहीं, कई जगह मतदाताओं का वोट उनके परंपरागत बूथ से हटाकर किसी दूसरे मतदान केंद्र के बूथ की मतदाता सूची में शामिल कर दिया गया। जिसके चलते भी बड़ी संख्या में मतदाता वोट नहीं डाल पाए। मोटे आंकड़े के अनुसार महानगर के करीब तीस हजार मतदाता मतदाता सूची में गड़बड़ी के चलते वोट देने से वंचित रह गए थे।
इस बार भाजपा है पूरी तरह सतर्क
भाजपा की तैयारी में बूथ की मजबूती प्राथमिकता रही है और उस पर वह हर चुनाव में काम करती है। इस बार भी एक बूथ दस यूथ का फार्मूला भाजपा तैयार करके चल रही है। इसके लिए लगातार बैठकें हो रही है।
लेकिन इससे अलग इस बार मतदाता सूची पर पहले से ज्यादा फोकस है। क्योंकि निगम चुनाव में भाजपा देख चुकी है कि वोटर लिस्ट से गायब अधिकांश मतदाता उसका ही था। ऐसे में लोकसभा चुनाव में वह कोताही बरतना नहीं चाहती है।
बैठक में दिए गए दिशा निर्देश
शुक्रवार को हरमन सिटी स्थित भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय में महानगर के जनप्रतिनिधियों के साथ कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। जिसमें महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज ने दिशा निर्देश देते हुए कहा कि 25नवंबर से घर-घर जाकर कार्यकर्ता मतदाता सूची का सत्यापन करेंगे और जिनका वोट नहीं बना है, उनके मौके पर ही फार्म भरवाते हुए सारी औपचारिकताएं पूर्ण कर वोट बनवाने के फार्म बीएलओ के माध्यम से जमा कराए जाएंगे।
कार्यकर्ताओं में नजर नहीं आ रहा जोश
भाजपा लगातार बैठकें कर दिशा निर्देश जारी कर रही है। लेकिन एक बात जो अभी तक सामने आई है, वह यह है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं में इस बार अभी तक जोश नजर नहीं आ रहा है। भाजपा की सारी तैयारी सिर्फ बैठकों और बयानबाजी तक ही सीमित नजर आ रही हैं। इसका बड़ा कारण कहीं न कहीं पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उपेक्षा माना जा रहा है।
जनप्रतिनिधियों ने भी खड़ी कर रखी है गुटबाजी
भाजपा में पदाधिकारियों को भी खुलकर काम करने का मौका मौजूदा समय में नहीं मिल रहा है। जनप्रतिनिधियों ने संगठन के भीतर गुटबाजी खड़ी कर रखी है। हाल ये है कि वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। यही कारण है कि आम कार्यकर्ता अभी तक जुड़ता नजर नहीं आ रहा है।