- भाजपा ने पर्यवेक्षकों के नाम का किया ऐलान,
- राजनाथ को राजस्थान, खट्टर को मध्यप्रदेश और सोनेवाल को भेजा छत्तीसगढ़।
नई दिल्ली। भाजपा ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पर्यवेक्षकों के नाम का ऐलान करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया है।
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए भाजपा पर्यवेक्षक इस प्रकार तय किए गए हैं।
राजस्थान-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विनोद तावड़े और सरोज पांडे मध्य प्रदेश-हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, के लक्ष्मण, आशा लाकड़ा छत्तीसगढ़-केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल और दुष्यंत गौतम।
भाजपा ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पर्यवेक्षकों के नाम का ऐलान कर दिया है। ये पर्यवेक्षक ही हर राज्य में वहां के विधायकों से बात करके सीएम के चेहरे के नाम का ऐलान करेंगे। बीजेपी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया है। वहीं विनोद तावड़े और सरोज पांडेय को उनका सहायक सर्वेक्षक बना कर भेजा है।
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, के लक्ष्मण और आशा लकड़ा को मध्यप्रदेश का पर्यवेक्षक बना कर भेजा गया है। छत्तीसगढ़ के सीएम फेस को चुनने की जिम्मेदारी बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनेवाल को सौंपी है। वहीं उनकी सहायता के लिए अर्जुन मुंडा को उनके साथ भेजा गया है।
किस आधार पर होगा तीनों राज्यों के सीएम फेस का ऐलान
गुरुवार (7 दिसंबर 2023) को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘तीनों राज्यों के लिए पर्यवेक्षक नवनिर्वाचित विधायकों की बैठकों के लिए संबंधित राज्यों की यात्रा करेंगे, जहां भविष्य के मुख्यमंत्रियों के नाम घोषित किए जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की पसंद पर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है और पार्टी तीनों मुख्यमंत्रियों को चुनने में सामाजिक, क्षेत्रीय, शासन और संगठनात्मक हितों को ध्यान में रखेगी।
गृहमंत्री से मुलाकात पर क्या बोले भाजपा के सूत्र
तीन राज्यों के नेता गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, लेकिन सूत्रों ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि इस तरह की बैठकें नियमित होती हैं। उन्होंने कहा, ‘राज्य के कई नेता हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व से मिल रहे हैं। केवल तीन मुख्यमंत्री हो सकते हैं। किसी को भी इसे ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि संभावितों में वे सांसद भी शामिल हैं जिन्होंने संसद से इस्तीफा दे दिया है और शिष्टाचार के तौर पर राष्ट्रीय नेताओं से मिल रहे हैं।